सियोल, 11 मार्च (एपी) उत्तर कोरिया ने हाल के दो प्रक्षेपणों के दौरान अपनी सबसे बड़ी अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल के हिस्सों का परीक्षण किया। अमेरिका और दक्षिण कोरिया की सेनाओं ने यह जानकारी देते हुए यह भी कहा कि उत्तर कोरिया जल्द ही इस हथियार का प्रक्षेपण अपने जासूसी उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए कर सकता है।
जासूस उपग्रह प्रक्षेपित करने को उत्तर कोरिया की ओर से सबसे अहम उकसावे वाली कार्रवाई के रूप में देखा जा रहा है। उत्तर कोरिया के पड़ोसी देश ने पिछले हफ्ते दो बैलिस्टिक मिसाइल के प्रक्षेपण का पता लगाया था, लेकिन उत्तर कोरिया ने बाद में कहा कि वह कैमरा और अन्य प्रणाली का परीक्षण कर रहा था।
उत्तर कोरिया ने कहा कि वह यह परीक्षण जासूसी उपग्रह भेजने के लिए किया था। लेकिन उसने यह नहीं बताया कि वह इसके लिए किस मिसाइल या रॉकेट का इस्तेमाल करेगा।
प्रक्षेपणों का विश्लेषण करने के बाद अमेरिका और दक्षिण कोरियाई सेनाओं ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा कि वह एक अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल प्रणाली को विकसित करने की प्रक्रिया में है, जिसकी एक झलक उत्तर कोरिया ने अक्टूबर 2020 में एक सैन्य परेड के दौरान दिखाई थी। पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल परीक्षणों का उद्देश्य नई प्रणाली की समीक्षा करना हो सकता है।
दक्षिण कोरिया के रक्षा मंत्रालय ने भी कहा है कि उत्तर कोरिया को तनाव और क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को बढ़ाने वाले किसी भी कदम पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। अमेरिका और दक्षिण कोरियाई सेना के बयानों में जिस अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल का जिक्र किया गया है उसका नाम ह्वासोंग -17 है।
इसे उत्तर कोरिया की सबसे बड़ी दूरी तक मार करने वाली मिसाइल बताया जा रहा है, जिसकी संभावित मारक क्षमता 15,000 किलोमीटर तक है। यानी अमेरिका समेत कई देश पूरी तरह इस मिसाइल के दायरे में आएंगे।
25 मीटर लंबी यह मिसाइल को पिछले साल उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में एक रक्षा प्रदर्शनी में फिर से दिखाया गया था, लेकिन अभी इसका परीक्षण नहीं किया गया है। उत्तर कोरिया वर्ष 2017 में अन्य अंतरमहाद्वीपीय मिसाइल ह्वासोंग-14 और ह्वासोंग-15 के उड़ान परीक्षणों के साथ अमेरिका की मुख्य भूमि तक पहुंचने की क्षमता का प्रदर्शन कर चुका है।
कुछ विश्लेषकों का कहना है कि बड़ी मिसाइल विकसित करने का मकसद यह भी हो सकता है कि उत्तर कोरिया मिसाइल रक्षा प्रणालियों को बेअसर करने के लिए लंबी दूरी के हथियारों में कई मुखास्त्र लगा रहा हो। फिलहाल पर्यवेक्षकों को लगता है कि उत्तर कोरिया दो मुख्य सैन्य उद्देश्यों के लिए ह्वासोंग -17 मिसाइल लॉन्च करेगा ।
पहला उद्देश्य प्रमुख हथियारों के हिस्सों का परीक्षण करना और दूसर मकसद अंतरिक्ष में अपना पहला जासूसी उपग्रह भेजना हो सकता है। दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर क्वोन योंग सू ने कहा कि ह्वासोंग -17 की अनुमानित ताकत से पता चलता है कि यह एक ही प्रक्षेपण में कई टोही उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए पर्याप्त शक्तिशाली है।
क्वोन ने कहा कि विमान वाहक जैसे चलते लक्ष्यों पर लंबी दूरी से हमलों के लिए उपग्रहों से उनकी गति संबंधित डेटा प्राप्त करने की जरूरत होती है। क्वोन ने कहा, ‘‘अगर उत्तर कोरिया एक जासूसी उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करता है, तो यह एक बड़ा विकास होगा।’’
सियोल में कोरियाई रक्षा अध्ययन फोरम थिंक टैंक के प्रमुख जंग चांग वूक और क्वोन दोनों मानते हैं कि उत्तर कोरिया ने एकल वारहेड मिसाइल के लिए पुन:प्रवेश यान प्रौद्योगिकी हासिल कर ली है, लेकिन इसे लेकर विश्लेषकों में विवाद है। जंग ने कहा कि अगर उत्तर कोरिया कई हथियारों के लिए एक पुन: प्रवेश यान के परीक्षण में सफल हो जाता है, तो इससे संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ बातचीत में उसको लाभ मिलेगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर कोरिया किम जोंग उन के दिवंगत दादा और राज्य के संस्थापक किम इल सुंग की 110वीं जयंती से पहले अप्रैल में एक जासूसी उपग्रह लॉन्च कर सकता है। लेकिन विश्लेषक जंग ने कहा कि उन्हें लगता है कि जासूस उपग्रह मई की शुरुआत में लॉन्च किया जायेगा।
किर्बी ने कहा कि अमेरिकी सेना ने क्षेत्र में अपने बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा बलों को तैयार रहने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोरियाई प्रायद्वीप के पश्चिमी तट पर निगरानी गतिविधियों को तेज कर दिया गया है।
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