ताजा खबरें | स्वास्थ्यकर्मियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए केंद्रीय कानून की जरूरत नहीं: सरकार
Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को सूचित किया कि कई राज्यों ने स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए पहले ही कानून बना लिए हैं, जबकि गंभीर अपराधों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के दायरे में रखा गया है, ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए किसी केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है।
नयी दिल्ली, 29 नवंबर सरकार ने शुक्रवार को लोकसभा को सूचित किया कि कई राज्यों ने स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए पहले ही कानून बना लिए हैं, जबकि गंभीर अपराधों को भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के दायरे में रखा गया है, ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए किसी केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, ‘स्वास्थ्य’ और ‘कानून व्यवस्था’ राज्य के विषय हैं।
पटेल ने कहा, ‘‘इसलिए, स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ हिंसा को रोकने के लिए उचित कार्रवाई करने के संबंध में घटनाओं और संभावित परिस्थितियों पर ध्यान देना संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश की प्राथमिक जिम्मेदारी है।’’
उन्होंने कहा कि बीएनएस और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) के प्रावधानों के तहत राज्यों द्वारा ऐसे मामलों में उचित तरीके से निपटना चाहिए, ताकि चिकित्सा पेशेवर हिंसा के डर के बिना अपने पेशेवर कार्यों का निर्वहन कर सकें।
पटेल ने कहा कि कई राज्यों ने पहले ही स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए कानून बनाए हैं।
मंत्री ने कहा कि इनमें से अधिकतर कानून में छोटे अपराधों को कवर किया गया है और उनके लिए सजा निर्धारित की गई है, जबकि बड़े अपराध और जघन्य अपराध बीएनएस के तहत पर्याप्त रूप से कवर किए जाते हैं।
पटेल ने कहा, ‘‘चूंकि राज्यों के कानूनों में दिन-प्रतिदिन के छोटे अपराधों से निपटने के लिए पर्याप्त प्रावधान हैं और गंभीर अपराधों में बीएनएस, 2023 के तहत कार्रवाई की जा सकती है, इसलिए स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ अपराधों से निपटने के लिए एक अलग केंद्रीय कानून की आवश्यकता नहीं है।’’
उन्होंने यह भी कहा कि हालांकि, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने सभी केंद्रीय सरकारी अस्पतालों और संस्थानों, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों (एम्स) तथा मेडिकल कॉलेजों को परामर्श जारी किया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि चिकित्सा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की घटना के छह घंटे के भीतर प्राथमिकी दर्ज की जाए।
उन्होंने कहा कि सभी राज्यों को भी मंत्रालय द्वारा चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा बढ़ाने और उन्हें सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करने के लिए तत्काल उपाय करने की सलाह दी गई है।
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक प्रशिक्षु चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या की घटना पर संज्ञान लेते हुए, उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कामकाजी परिस्थितियों और उनके कल्याण तथा अन्य संबंधित मामलों से संबंधित चिंता के मुद्दों के समाधान के लिए प्रभावी सिफारिशें तैयार करने के मकसद से एक राष्ट्रीय कार्य बल का गठन किया है।
पटेल ने कहा कि राष्ट्रीय कार्य बल उच्चतम न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है।
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