देश की खबरें | यमुना के बाढ़ मैदान में अब क्षतिपूर्ति वनीकरण या वृक्षारोपण के लिए जगह नहीं : डीडीए

नयी दिल्ली, नौ अगस्त दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने शहर के वन विभाग को पत्र लिखकर सूचित किया है कि यमुना के बाढ़ के मैदान में अब ‘‘ क्षतिपूर्ति वनीकरण या वृक्षारोपण के लिए कोई जमीन उपलब्ध नहीं है।’’

वन विभाग ने इससे पहले डीडीए से कहा था कि केंद्र सरकार की ‘‘दिल्ली से गुजरने वाली नदी के हिस्से का वनीकरण हस्तक्षेप से पुनरुद्धार करने की’’की योजना के लिए यमुना के बाढ़ के मैदान में जमीन की आवश्यकता है।

केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने मार्च में वानिकी हस्तक्षेप से 13 नदियों के पुनरुद्धार की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) जारी की थी।

वन विभाग ने कहा था कि उसने दिल्ली के मुख्य सचिव के निर्देश पर विस्तृत आकलन किया और पाया कि करीब नौ हजार हेक्टेयर जमीन यमुना के बाढ़ के मैदान में उपलब्ध है।

डीडीए ने अपने जवाब में कहा कि वन विभाग का नदी के बाढ़ के मैदान में जमीन की उपलब्धता के संबंध में किया गया आकलन ‘‘तथ्यों पर आधारित नहीं है।’’

एजेंसी ने कहा कि वजीराबाद बैराज से लेकर ओखला बैराज के बीच यमुना नदी के बाढ़ के मौदान में केवल 1,267 हेक्टेयर जमीन विकास के लिए उपलब्ध है।

डीडीए ने कहा कि इस जमीन में से भी 402 हेक्टेयर जमीन पहले ही क्षतिपूर्ति वनीकरण के लिए विभिन्न परियोजनाओं को दी जा चुकी है जबकि 280 हेक्टेयर जमीन ‘विवादित’ है और उसके सीमांकन की प्रक्रिया चल रही है।

डीडीए ने बताया कि बाकी बची 585 हेक्टेयर की जमीन राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के मुताबिक नदी घास लगाने के लिए निर्धारित की गयी है।

वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि डीडीए ने केवल वजीराबाद बैराज और ओखला बैराज के बीच उपलब्ध जमीन का उल्लेख किया है जबकि दिल्ली में नदी के बाढ़ का मैदान उत्तर में पल्ला से लेकर दक्षिण में जैतपुर तक 48 किलोमीटर के रास्ते में फैला है।

उन्होंने सवाल किया, ‘‘अगर उसपर डीडीए का स्वामित्व नहीं है तो किसका है।’’

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