कोरोना महामारी के चलते मप्र में लगभग एक माह से मंत्रिपरिषद नहीं
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भोपाल, 17 अप्रैल मध्यप्रदेश के सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहने का रिकॉर्ड स्थापित करने वाले शिवराज सिंह चौहान निश्चित तौर पर सबसे लम्बे समय तक बिना मंत्रिपरिषद वाले मुख्यमंत्री के तौर पर नहीं बने रहना चाहते होंगे।

कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच चौथी बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के रुप में 23 मार्च को शपथ लेने के बाद शिवराज सिंह चौहान आज 25 दिन बाद भी बिना मंत्रिपरिषद के काम कर रहे हैं।

वर्ष 2018 में भाजपा के विधानसभा चुनाव हारने से पहले शिवराज सिंह चौहान लगातार 13 सालों तक मुख्यमंत्री रहे थे। यह मुकाम मध्यप्रदेश में किसी अन्य राजनेता नहीं हासिल नहीं किया है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के विद्रोह के बाद प्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी और इसके बाद 23 मार्च 2020 को चौहान ने चौथी बार भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के तौर पर प्रदेश की जिम्मेदारी संभाली। पर इस बार कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते मुख्यमंत्री को बिना मंत्रिपरिषद के अकेले ही शपथ लेनी पड़ी और इसके अगले ही दिन 24 मार्च से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देश व्यापी लॉकडाउन घोषित करने के कारण मुख्यमंत्री चौहान मध्यप्रदेश में अपनी मंत्रिपरिषद का गठन ही नहीं कर पा रहे हैं और अकेले ही काम करने के लिए मजबूर हैं।

इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा 22 दिन तक बिना मंत्रिपरिषद के काम कर चुके हैं।

प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा कि मध्यप्रदेश में यह स्थिति कोरोना वायरस की महामारी के चलते बनी है। कोरोना से लड़ना मुख्यमंत्री के पहली चिंता और प्राथमिकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने हालांकि आरोप लगाया कि भाजपा प्रदेश के लोगों को बेवकूफ बना रही है। प्रदेश के लोगों के लिए न तो मंत्रिपरिषद है और न ही इस महामारी के बीच एक स्वास्थ्य मंत्री। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने कहा कि ऐसा दुनिया में कहीं नहीं हुआ है।

हालांकि भाजपा सूत्रों ने कहा कि प्रदेश में जल्द ही मंत्रिपरिषद का गठन किया जा सकता है।

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