निर्मला सीतारमण ने कहा- विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चौकसी सभी कानून का सामना करने के लिए भारत वापस आ रहे हैं

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को कहा कि विजय माल्या, नीरव मोदी और मेहुल चोकसी, ये सभी भगोड़े कारोबारी कानून का सामना करने के लिए भारत वापस आ रहे हैं. गौरतलब है कि सरकार ब्रिटेन से माल्या और मोदी के प्रत्यर्पण के लिए प्रयास कर रही है, जबकि माना जा रहा है कि चोकसी एंटीगुआ-बारबुडा में है.

निर्मला सीतारमण (फोटो क्रेडिट- ANI)

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने गुरुवार को कहा कि विजय माल्या (Vijay Mallya), नीरव मोदी (Nirav Modi) और मेहुल चोकसी (Mehul Choksi), ये सभी भगोड़े कारोबारी कानून का सामना करने के लिए भारत वापस आ रहे हैं. गौरतलब है कि सरकार ब्रिटेन से माल्या और मोदी के प्रत्यर्पण के लिए प्रयास कर रही है, जबकि माना जा रहा है कि चोकसी एंटीगुआ-बारबुडा में है. सीतारमण ने राज्य सभा में बीमा (संशोधन) विधेयक, 2021 पर चर्चा के दौरान कहा, ‘‘विजय माल्या, नीरव मोदी, मेहुल चोकसी ये सभी इस देश के कानून का सामना करने के लिए वापस आ रहे हैं ... एक-एक कर के हर कोई इस देश के कानून का सामना करने के लिए देश में वापस आ रहा है.’’

माल्या अपनी दिवालिया किंगफिशर एयरलाइंस से जुड़े 9,000 करोड़ रुपये के बैंक ऋण को जानबूझ कर न चुकाने के आरोपी हैं, और मार्च 2016 से ब्रिटेन में हैं. नीरव मोदी और मेहुल चोकसी पीएनबी के साथ कर्ज में धोखाधड़ी के आरोपी हैं. सीबीआई जांच शुरू होने से पहले 2018 में दोनों भारत से भाग गए. बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अधिकतम सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने पर सीतारमण ने कहा कि हिस्सेदारी बढ़ने से कंपनियों का नियंत्रण विदेशी कंपनियों के पास चला जायेगा लेकिन इन कंपनियों में निदेशक मंडल और प्रबंधन के महत्वपूर्ण पदों पर भारतीय लोग ही नियुक्त होंगे और उन पर भारतीय कानून लागू होगा. यह भी पढ़ें- PNB घोटाला: नीरव मोदी को मुंबई के आर्थर रोड जेल में रखने की तैयारी पूरी कर ली गई.

बीमा संशोधन विधेयक पर चर्चा का उत्तर देते हुये सीतारमण ने कहा, ‘‘देश के कानून अब काफी परिपक्व हैं, देश में होने वाले किसी भी परिचालन को वे नियंत्रण में रख सकते हैं. (कोई भी) इसे (धन को) बाहर नहीं ले जा सकता है और हम देखते नहीं रह सकते हैं.’’

बीमा कंपनियों में विदेशी हिस्सेदारी बढ़ाने की वजह बताते हुये उन्होंने कहा कि बीमा कंपनियों पर नकदी का दबाव बढ़ रहा था. ऐसे में निवेश सीमा बढ़ने से उनकी बढ़ती पूंजी जरूरतों को पूरा किया जा सकेगा.

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