देश की खबरें | एनआईए ने अदालत से कहा, जमानत याचिका पर निर्णय लेते समय राव के 'अपराध' को ध्यान में रखा जाए

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. एनआईए ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि कवि-कार्यकर्ता वरवर राव राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामले में आरोपी हैं और ऐसे में उनके बीमार होने और चिकित्सा आधार पर दायर जमानत याचिका पर विचार करने के दौरान ''अपराध'' की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

मुंबई, 28 जनवरी एनआईए ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय के समक्ष कहा कि कवि-कार्यकर्ता वरवर राव राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामले में आरोपी हैं और ऐसे में उनके बीमार होने और चिकित्सा आधार पर दायर जमानत याचिका पर विचार करने के दौरान ''अपराध'' की गंभीरता को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी राव की जमानत याचिका का विरोध करते हुए यह दलील दी।

एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने न्यायालय से कहा कि महाराष्ट्र में ऐसे कई विचाराधीन कैदी हैं जो विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं और जेल में रहने के दौरान उन्हें राज्य द्वारा आवश्यक उपचार मुहैया कराया जा रहा है।

एएसजी उस सुझाव पर दलील दे रहे थे, जिसमें न्यायमूर्ति एसएस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की पीठ ने राव के खराब स्वास्थ्य और उम्रदराज होने का हवाला देते हुए, अदालत के अधिकार क्षेत्र में उनका रहना सुनिश्चित करने के लिए उन्हें कड़ी शर्तों के साथ जमानत देने पर विचार करने की बात कही थी।

पीठ ने कहा, '' हिरासत में 82 वर्षीय एक व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता क्या हो सकती है? क्या उन्हें नानावटी (अस्पताल) ले जाने की एक और आपातकालीन स्थिति का इंतजार करना इसलिए उचित है कि हम आपकी (एनआईए) चिंता के मद्देनजर जमानत याचिका खारिज कर दें ?''

उन्होंने कहा, '' क्या यह (जमानत) एक शर्त के साथ नहीं दी जा सकती? कि वह इस अदालत के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत ही रहें।''

अदालत ने पिछले महीने हुई सुनवाई का उल्लेख करते हुए कहा कि राज्य के वकील दीपक ठाकरे ने कहा था कि वर्ष 2017 के इस मामले में अभी आरोप तय किए जाने हैं और 200 गवाहों से भी जिरह की जानी है। ऐसे में इस मामले में सुनवाई शुरू होने में थोड़ा समय लग सकता है।

वहीं, सिंह ने कहा कि राव को सर्शत जमानत देने के बजाय अदालत राज्य पर आरोपी कवि को जेल में ही अच्छी चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की शर्तें लागू कर सकती है।

उन्होंने अदालत से कहा, '' चिकित्सा आधार के साथ ही अपराध की गंभीरता पर विचार करना चाहिए। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का सवाल है। कल अगर कुछ भी होता है तो हम जिम्मेदार हैं।''

इस बीच, पीठ ने राव के सह-आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा के साथ पिछले साल हुए घटनाक्रम का हवाला देते हुए कहा, '' एक कैदी को वह चश्मा नही दिया गया जो कि उसके परिवार ने भेजा था। उन्होंने उसे परिवार को वापस भेज दिया। यहां तक कि अब वह देख नहीं सकते। हम यह नहीं कह रहे कि ये सब गलत इरादे से किया गया। लेकिन, यह जेल प्रशासन की गलती थी।''

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\