देश की खबरें | सेंथिल बालाजी से जुड़ी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर अगली सुनवाई सात जुलाई को
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के गिरफ्तार किए गए मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है।
चेन्नई, छह जुलाई मद्रास उच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार के गिरफ्तार किए गए मंत्री वी. सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के लिए सात जुलाई की तारीख तय की है।
अदालत ने बृहस्पतिवार को याचिकाकर्ता के वकील से यह भी पता लगाने और बताने को कहा कि क्या दिल्ली के एक वरिष्ठ अधिवक्ता के लिए आठ जुलाई की तारीख सुविधाजनक है।
बालाजी की पत्नी मेगला द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर खंडित फैसले के बाद मुख्य न्यायाधीश एस. एस. वी. गंगापुरवाला ने न्यायमूर्ति सी. वी. कार्तिकेयन को मामले की सुनवाई के लिए तीसरा न्यायाधीश नियुक्त किया।
न्यायमूर्ति जे़ निशा बानू और न्यायमूर्ति डी. भारत चक्रवर्ती की खंडपीठ ने चार जुलाई को इस संबंध में खंडित फैसला दिया था। न्यायमूर्ति बानू ने कहा था कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका स्वीकार करने योग्य है वहीं न्यायमूर्ति चक्रवर्ती ने इससे इनकार किया था।
पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री रहने के दौरान नकदी के बदले नौकरी देने के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बालाजी को पिछले महीने गिरफ्तार किया था।
मामला जब सुनवाई के लिए बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति कार्तिकेयन के पास आया तो याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित वकील एन. आर. इलांगो ने अदालत को बताया कि वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल भी पीठ के समक्ष उपस्थित होंगे और मामले में दलीलें पेश करेंगे, इसलिए इसकी सुनवाई 11 जुलाई को हो सकती है।
वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से उपस्थित भारत के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस मामले में कोई भी देरी होने से जनहित प्रभावित होगा।
न्यायाधीश ने कहा कि मामले की सुनवाई के लिए सभी के लिहाज से आठ जुलाई की तारीख सही रहेगी। न्यायाधीश ने इलांगो से कहा कि वह दिल्ली के वरिष्ठ अधिवक्ता से पता करें कि क्या आठ जुलाई उनके लिहाज से सुविधाजनक है और शुक्रवार को अदालत को इसकी जानकारी दें।
न्यायाधीश ने जब संकेत दिया कि अधिवक्ता खंडित फैसला देने वाले दोनों न्यायाधीशों के मतों में अंतर से जुड़े बिन्दुओं को देख सकते हैं, ईडी की ओर से उपस्थित विशेष लोक अभियोजक एन. रमेश ने बताया कि वे दोनों न्यायाधीशों के विचारों में अंतर को लेकर एक तुलनात्मक चार्ट पहले ही तैयार कर चुके हैं।
ईडी को यह चार्ट याचिकाकर्ता के वकील के साथ साझा करने का निर्देश देते हुए न्यायाधीश ने ईडी से सभी संबंधित रिकॉर्ड पेश करने को कहा।
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