देश की खबरें | तोक्यो में लिखा जायेगा भारतीय मुक्केबाजी का नया इतिहास , द्रोणाचार्य संधू ने कहा
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. भारतीय मुक्केबाजों ने उनके मार्गदर्शन में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदक जीतना सीखा और पूर्व राष्ट्रीय कोच गुरबख्श सिंह संधू का मानना है कि तोक्यो ओलंपिक में एक से अधिक पदक जीतकर भारतीय मुक्केबाज नया इतिहास रच सकते हैं ।
नयी दिल्ली, 20 जुलाई भारतीय मुक्केबाजों ने उनके मार्गदर्शन में ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार पदक जीतना सीखा और पूर्व राष्ट्रीय कोच गुरबख्श सिंह संधू का मानना है कि तोक्यो ओलंपिक में एक से अधिक पदक जीतकर भारतीय मुक्केबाज नया इतिहास रच सकते हैं ।
भारत को अब तक ओलंपिक में दो पदक विजेंदर सिंह (बीजिंग 2008 ,कांस्य) और एम सी मैरीकॉम (लंदन 2012 ,कांस्य) ने दिलाये हैं । दोनों बाद संधू राष्ट्रीय पुरूष टीम के कोच थे ।
द्रोणाचार्य सम्मान प्राप्त संधू रिटायर होने के बाद अब पटियाला में हैं । उन्होंने तोक्यो ओलंपिक से पहले पीटीआई से बातचीत में कहा कि उन्हें खेलों में भाग ले रहे सभी नौ भारतीय मुक्केबाजों से अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ मुझे लगता है कि हम पहली बार ओलंपिक में एक से अधिक पदक जीतेंगे और पदक का रंग भी बेहतर होगा। मैने इन सभी का प्रदर्शन देखा है । मैं उन्हें जानता भी हूं क्योंकि मेरे रहते ही कुछ शिविर में आये थे । सब कुछ ठीक रहा तो इन खेलों में इतिहास रचा जायेगा ।’’
संधू दो दशक से अधिक समय तक पुरूष टीम के कोच रहे और कैरियर के आखिर में एक साल महिला टीम के कोच थे । अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में उन्होंने दुनिया के नंबर एक फ्लायवेट मुक्केबाज अमित पंघाल को शिविर में आते देखा ।
संधू ने कहा ,‘‘मैं उसे जानता हूं ।मैने उससे बात की है । वह मजबूत इच्छाशक्ति वाला और बेखौफ है । वह नैसर्गिक प्रतिभा का धनी है।’’
उन्होंने कहा कि वह ‘फेवरिट’ चुनने में विश्वास नहीं रखते और उनके लिये सभी पदक के दावेदार हैं । पंघाल के अलावा छह बार की विश्व चैम्पियन एम सी मैरीकॉम (51 किलो) और विकास कृष्ण (69 किलो) भी पदक के दावेदारों में हैं ।
संधू मानते हैं कि विजेंदर के ओलंपिक पदक ने भारत में मुक्केबाजी के विकास की नींव रखी लेकिन उनका यह भी मानना है कि आज के मुक्केबाजों में अधिक आत्मविश्वास है जो प्रतिस्पर्धी मुकाबले ज्यादा खेलने से मिला है ।
उन्होंने कहा ,‘‘ बीजिंग में नयी शुरूआत थी लेकिन उस लय को बरकरार रखना अधिक अहम था । आज के मुक्केबाजों को देखो जिनका आत्मविश्वास देखते बनता है । पिछले कुछ साल से मैने उन्हें किसी टूर्नामेंट से खाली हाथ लौटते नहीं देखा ।’‘
रियो ओलंपिक में भारतीय मुक्केबाजों की झोली खाली रही थी जब संधू कोच थे ।
उन्होंने कहा ,‘‘ रियो के जख्म तोक्यो में भरेंगे । मुझे सौ फीसदी यकीन है ।रियो के बाद से अभ्यास का पूरा ख्याल रखा गया है ।कोचों ने काफी मेहनत की है । हर मांग पूरी की गई है और अब खिलाड़ियों का अपने प्रदर्शन से जवाब देने का मौका है ।’’
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