सरसों में सुधार, विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच बाकी तेलों के भाव टूटे

बाजार सूत्रों ने कहा कि सप्ताह के दौरान शिकॉगो एक्सचेंज में तीन प्रतिशत और मलेशिया एक्सचेंज में सात प्रतिशत की गिरावट आई जिसका सीधा असर स्थानीय कारोबार पर दिखा और पिछले सप्ताहांत के मुकाबले अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई.

प्रतिकत्मिक तस्वीर (Photo Credits: Pixabay)

नयी दिल्ली: विदेशी बाजारों में गिरावट के रुख के बीच बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में सरसों को छोड़कर बाकी तेल-तिलहन कीमतों में कमजोरी का रुख रहा और इनके भाव हानि दर्शाते बंद हुए. मांग कमजोर होने से सरसों तेल दादरी में भी हानि दर्ज हुई. बाजार सूत्रों ने कहा कि सप्ताह के दौरान शिकॉगो एक्सचेंज में तीन प्रतिशत और मलेशिया एक्सचेंज में सात प्रतिशत की गिरावट आई जिसका सीधा असर स्थानीय कारोबार पर दिखा और पिछले सप्ताहांत के मुकाबले अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई.

उन्होंने बताया कि सरसों किसान लागत से काफी कम कीमत पर फसल बेचने से कतरा रहे हैं. उन्होंने नजफगढ़ की हाजिर मंडी में शुक्रवार को सरसों की बिक्री 4,050-4,100 रुपये प्रति क्विन्टल की दर से की. हालांकि, इससे पहले उन्हें 3,700 रुपये क्विन्टल के भाव से भी अपनी उपज बेचनी पड़ी थी. शुक्रवार को सरसों के भाव में सुधार तो दिखा, लेकिन अभी भी यह सरकार के नये न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 4,425 रुपये प्रति क्विन्टल से काफी कम है. उन्होंने बताया कि दूसरी ओर सहकारी कंपनी हाफेड द्वारा एमएसपी पर सरसों की खरीद शुरू करने से किसानों ने राहत की सांस ली और सरसों के भाव में सुधार आया. यह भी पढ़ें: मांग कमजोर पड़ने से खाद्य तेलों के भाव में गिरावट

सरसों दाना का भाव 50 रुपये सुधरकर 4,275-4,325 रुपये प्रति क्विन्टल हो गया जबकि सरसों पक्की और कच्ची घानी के भाव 10-10 रुपये का सुधार प्रदर्शित करते क्रमश: 1,395-1,540 रुपये और 1,465-1,585 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए. विदेशी बाजारों में कमजोरी के रुख और स्थानीय मांग कमजोर पड़ने से मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात के भाव क्रमश: 50 रुपये और 350 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,815-4,865 रुपये और 13,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए. मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी 10 रुपये की हानि प्रदर्शित करता 1,975- 2,025 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ.

कमजोर मांग के कारण वनस्पति घी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 125 रुपये टूटकर 990-1,095 रुपये प्रति टिन (15 किग्रा) पर बंद हुआ, जबकि तिल मिल डिलिवरी का भाव 10,500-15,000 रुपये रुपये प्रति क्विंटल पर अपरिवर्तित रहा. सूत्रों ने बताया कि स्थानीय मांग कमजोर होने से सोयाबीन दाना और लूज के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 100 रुपये और 200 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 3,950-4,000 रुपये और 3,650-3,700 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए. सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम के भाव भी 380 रुपये, 240 रुपये और 280 रुपये टूटकर क्रमश: 8,850 रुपये, 8,700 रुपये और 7,720 रुपये प्रति क्विंटल रह गये. यह भी पढ़ें: सरसों में सुधार, विदेशी बाजारों में गिरावट के बीच बाकी तेलों के भाव टूटे

सूत्रों ने बताया कि बायो डीजल बनाने के लिए हर साल लगभग 40 लाख टन कच्चे पामतेल की खपत होती थी. लेकिन कच्चे तेल की मौजूदा कीमत के सीपीओ से भी नीचे चले जाने के कारण कच्चे पामतेल की मांग प्रभावित हो सकती है. वैसे भी वैश्विक स्तर पर पामोलीन की मांग में कमी आई है. इस परिस्थिति में सीपीओ एक्स कांडला, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल के भाव क्रमश: 330 रुपये, 450 रुपये और 420 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 6,350 रुपये, 7,700 रुपये और 7,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए. मांग में गिरावट आने से बिनौला मिल डिलिवरी हरियाणा तेल की कीमत भी 320 रुपये टूटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में 7,900 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुई.

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