इराक में जासूसी एजेंसी के प्रमुख मुस्तफा काधेमी प्रधानमंत्री मनोनीत
सालेह ने काधेमी को नामित किए जाने के अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह एक बड़ी जिम्मेदारी है और काफी चुनौतियां हैं ।’’
खुफिया प्रमुख काधेमी ऐसे समय में कमान संभालने जा रहे हैं जब इराक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहा है। दुनियाभर में तेल के दाम कम होने तथा नोवेल कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने के कारण इराक के सामने बजट का संकट है।
सालेह ने काधेमी को नामित किए जाने के अपने संबोधन में कहा, ‘‘यह एक बड़ी जिम्मेदारी है और काफी चुनौतियां हैं ।’’
काधेमी को मनोनीत किये जाने के लिए आयोजित समारोह में देश की शीर्ष राजनीतिक हस्तियों ने भाग लिया जिससे संकेत मिलता है कि 53 वर्षीय काधेमी को पूर्व में मनोनीत दोनों प्रधानमंत्रियों से ज्यादा समर्थन प्राप्त है।
पिछले हफ्ते राजनीतिक बैठकों के बाद इराक की राष्ट्रीय खुफिया सेवा के प्रमुख काधेमी के नाम पर आम-सहमति बनी।
समारोह में ईरान के जनरल इस्माइल कानी भी थे जिन्होंने बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले के बाद से ईरान की शक्तिशाली कुद्स फोर्स का संचालन संभाल रखा है। जनवरी में अमेरिकी हमले में इस्माइल कानी के पूवर्वर्ती जनरल कासिम सुलेमानी मारे गये थे।
तेहरान का इराक पर राजनीतिक और सैन्य प्रभाव है और उसकी मंजूरी को किसी भी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के लिए जरूरी माना जाता है।
ईरान समर्थक तबकों ने जुरफी के मनोनयन का विरोध किया था जिसके बाद अंतत: उन्हें प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी वापस लेनी पड़ी।
जुरफी से पहले पूर्व मंत्री मोहम्मद अलावी भी मंत्रिमंडल को एकजुट नहीं कर सके।
इस बीच इराक के कार्यवाहक नेता आदिल आब्देल महदी ने कैबिनेट का नेतृत्व संभाला जिन्होंने कई महीने तक सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद दिसंबर में इस्तीफा दे दिया था।
काधेमी के अमेरिका से करीबी संपर्क बताये जाते हैं लेकिन राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक हाल के महीनों में उन्होंने वाशिंगटन के दुश्मन तेहरान के साथ भी संबंधों को सुधारा है।
काधेमी के पास विश्वास मत के लिहाज से 329 सदस्यीय संसद को अपने मंत्रिमंडल की सूची सौंपने के लिए 30 दिन का समय है।
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