ताजा खबरें | मुस्लिम आरक्षण देश को ‘इस्लामीकरण’ की ओर धकेलने के एजेंडे का हिस्सा: आदित्यनाथ

Get latest articles and stories on Latest News at LatestLY. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक में ओबीसी कोटे से मुसलमानों को आरक्षण देने की कांग्रेस की कोशिश देश को "इस्लामीकरण और विभाजन" की ओर धकेलने के उसके एजेंडे का हिस्सा है।

लखनऊ, 25 अप्रैल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बृहस्पतिवार को आरोप लगाया कि कर्नाटक में ओबीसी कोटे से मुसलमानों को आरक्षण देने की कांग्रेस की कोशिश देश को "इस्लामीकरण और विभाजन" की ओर धकेलने के उसके एजेंडे का हिस्सा है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता ने दावा किया कि कांग्रेस अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) और अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) के लोगों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित करना चाहती है।

कर्नाटक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, मुस्लिम धर्म के भीतर सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी द्वितीय(बी) के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य भाजपा नेताओं ने इस मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधा है और आरोप लगाया है कि वह ओबीसी के आरक्षण का हिस्सा मुस्लिम समुदाय को हस्तांतरित करना चाहती है, लेकिन कांग्रेस ने उनके दावे को खारिज कर दिया है और उन पर "झूठ" फैलाने का आरोप लगाया है।

जब ओबीसी कोटे से मुसलमानों को आरक्षण देने के कर्नाटक सरकार के कथित कदम के बारे में पूछा गया, तो आदित्यनाथ ने इसे ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताते हुए आरोप लगाया कि यह “भारत के इस्लामीकरण करने व विभाजन की ओर धकेलने की कुत्सित चेष्टा का हिस्सा है।”

उन्होंने कहा कि केंद्र में संयुक्त प्रगतिशील (संप्रग) सरकार आने के बाद कांग्रेस ने उस समय भी कुत्सित प्रयास किए थे।

आदित्यनाथ ने कहा, “पहले संप्रग सरकार के दौरान न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई थी। रंगनाथ समिति ने अपनी रिपोर्ट में सिफारिश की कि ओबीसी वर्ग के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण में से छह फीसदी मुसलमानों को दिया जाना चाहिए।”

उन्होंने कहा, “ इसके अतिरिक्त, समिति की रिपोर्ट में प्रस्ताव किया गया था कि मुसलमानों के एक विशिष्ट वर्ग, जिसने धर्म परिवर्तन कर लिया है, उसे दलित श्रेणी में शामिल किया जाना चाहिए और उन्हें दलितों के समान लाभ प्रदान किए जाने चाहिए।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि उस समय भाजपा ने बड़ा आंदोलन किया था।

आदित्यनाथ ने दावा किया, “न्यायमूर्ति रंगनाथ मिश्रा कमेटी की रिपोर्ट हो या सच्चर कमेटी की रिपोर्ट, यह ओबीसी, एससी-एसटी के अधिकार पर डकैती डालने की कांग्रेस की कुत्सित मंशा का प्रयास था।”

उन्होंने लोगों से ऐसे कदमों के प्रति सतर्क रहने का आग्रह किया। आदित्यनाथ ने कहा, "कांग्रेस और विपक्षी दलों के गठजोड़ ‘इंडिया’ की साजिशों को नाकाम करने के लिए लोकतांत्रिक अधिकारों के विवेकपूर्ण उपयोग की जरूरत है।"

आदित्यनाथ ने दावा किया कि कांग्रेस "आम लोगों की संपत्तियों को जबरन जब्त करने और फिर इसे सीमा पार से आए ऐसे घुसपैठियों को देने के लिए 'विरासत कर' लगाने पर विचार कर रही है, जिनका भारत से कोई संबंध नहीं है।"

मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने देश के संसाधनों को लगभग 60-65 वर्षों तक लूटा और अब एससी/एसटी, ओबीसी और गरीबों से उनका हक छीनना चाहती है।

आदित्यनाथ ने कहा, "कांग्रेस के घोषणापत्र में भी इन सबके संकेत थे। सैम पित्रोदा ने कल जो कहा, उसकी वकालत तत्कालीन मंत्री पी. चिदंबरम ने 2011, 2012 और 2013 में बार-बार की थी।"

‘इंडियन ओवरसीज कांग्रेस’ के अध्यक्ष सैम पित्रोदा ने धन के पुनर्वितरण के बारे में बात करते हुए अमेरिका में ‘विरासत कर’ वाली व्यवस्था का उल्लेख किया और कहा, ‘‘अमेरिका में विरासत कर लगता है। अगर किसी के पास 10 करोड़ डॉलर की संपत्ति है और जब उसकी मृत्यु हो जाती है तो इसमें से केवल 45 फीसदी उसके बच्चों को मिल सकता है। शेष 55 प्रतिशत संपत्ति सरकार के पास चली जाती है।’’

हालांकि कांग्रेस ने उनके इस बयान से दूरी बना ली है।

आदित्यनाथ ने दावा किया कि पूर्वोत्तर, असम और देश के अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर घुसपैठ के लिए कांग्रेस की "वोट बैंक की राजनीति" जिम्मेदार है।

मुख्यमंत्री ने कहा, "उन्होंने (कांग्रेस ने) हमेशा देश की कीमत पर मुद्दों का राजनीतिकरण किया है। विरासत कर भी उसी एजेंडे का हिस्सा है।"

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