जरुरी जानकारी | शिकॉगो एक्सचेंज में तेजी से अधिकांश तेल-तिलहनों में सुधार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. मंगलवार देर रात शिकॉगो एक्सचेंज में 4.5-5 प्रतिशत का पर्याप्त सुधार आने के बाद देश के बाजारों में बुधवार को अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला तथा सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन कीमतें मजबूती के साथ बंद हुईं। दूसरी ओर मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
नयी दिल्ली, आठ मई मंगलवार देर रात शिकॉगो एक्सचेंज में 4.5-5 प्रतिशत का पर्याप्त सुधार आने के बाद देश के बाजारों में बुधवार को अधिकांश तेल-तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला तथा सरसों तेल-तिलहन, सोयाबीन तेल, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन कीमतें मजबूती के साथ बंद हुईं। दूसरी ओर मूंगफली तेल-तिलहन, सोयाबीन तिलहन और बिनौला तेल के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि कल रात शिकॉगो एक्सचेंज में 4.5-5 प्रतिशत का पर्याप्त सुधार आया था और फिलहाल यहां तेजी है। दूसरी ओर मलेाशिया एक्सचेंज में घट-बढ़ चल रही है। पिछले कुछ दिनों से शिकॉगो एक्सचेंज में सोयाबीन तिलहन, तेल और डी-आयल्ड केक (डीओसी) के दाम मजबूत हो रहे हैं। कल रात सोयाबीन तेल का दाम 915 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 960 डॉलर प्रति टन हो गया। लेकिन इसका विशेष असर स्थानीय स्तर पर नहीं देखने को मिला क्योंकि यहां सोयाबीन डीगम तेल की बिक्री प्रीमियम के साथ हो रही थी। इस तेजी का मामूली असर बाकी तेल-तिलहनों पर भी देखने को मिला जो मजबूत बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि देश में किसानों द्वारा अपनी मर्जी से कम दाम पर बिकवाली से बचने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम पूर्वस्तर पर बंद हुए।
उन्होंने कहा कि सीपीओ और पामोलीन के दाम में सुधार का कारण इन दो तेलों के बीच दाम का अंतर कम होना है जो कम से कम 4-5 रुपये किलो का होना चाहिये लेकिन यह अंतर सिकुड कर लगभग एक रुपये का रह गया है। यह दर्शाता है कि सीपीओ से पामोलीन बनाने वालों की कम लेकिन बेकरी कंपनियों की मांग अधिक है और सीपीओ की उपलब्धता कम है।
सूत्रों ने कहा कि बिनौला के मामले में बाजार में आने वाले माल की गुणवत्ता ठीक न होने की वजह से मांग कमजोर है। इसकी लिवाली कमजोर है। इससे निकलने वाले खल को लेकर सरकार को चिंता करनी होगी और नकली खल के कारोबार पर सख्त पाबंदी लगाने के उपाय करने होंगे जो कपास उत्पादन बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है। इसका खल बाहर से मंगाना संभव भी नहीं है क्योंकि बिनौला खल की पैदावार देश में ही है। जब हाजिर कारोबार में बिनौला खल का भाव 32.50-33 रुपये किलो हो और वायदा कारोबार में इसका भाव 25.80 रुपये किलो हो तो कपास की पैदावार किसान कैसे बढ़ायेगा? उन्होंने कहा कि वायदा कारोबार में दाम कम होने की वजह कपास की बुवाई को प्रभावित करना तो नहीं है? सरकार को इस ओर ध्यान देना होगा और नकली खल पर रोक लगाना होगा।
तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन - 5,435-5,475 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली - 6,050-6,325 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) - 14,525 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली रिफाइंड तेल 2,200-2,465 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 10,260 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 1,760-1,860 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 1,760-1,875 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी - 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 9,875 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 9,625 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 8,200 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 8,800 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 9,750 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 9,825 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 8,90 0 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना - 4,900-4,920 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज- 4,700-4,740 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का)- 4,075 रुपये प्रति क्विंटल।
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