जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह ज्यादातर खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट, मूंगफली में लाभ

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम घटने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह लगभग अधिकांश खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट रही। जबकि निर्यात मांग से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम मजबूत रहे।

नयी दिल्ली, नौ जुलाई विदेशी बाजारों में खाद्य तेलों के दाम घटने के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह लगभग अधिकांश खाद्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट रही। जबकि निर्यात मांग से मूंगफली तेल-तिलहन के दाम मजबूत रहे।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों के अंधाधुंध आयात से बाजार इस कदर पटा है कि देशी तेल-तिलहन अपनी अधिक लागत के कारण पहले से ही नहीं खप रहे हैं और अब तो सस्ते आयातित सूरजमुखी के आगे तो आयातित सस्ता सोयाबीन भी नहीं खप रहा है क्योंकि सूरजमुखी तेल कीमत के मुकाबले सोयाबीन का दाम घटने के बावजूद फिलहाल अधिक है।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में किसानों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे भाव में बिकवाली नहीं करने और फसल रोक-रोक कर मंडी में लाने से सरसों तिलहन कीमतों में सुधार देखने को मिला। जबकि सस्ते आयातित सूरजमुखी और सोयाबीन तेल के आगे बाजार में नहीं खप पाने की वजह से सरसों तेल कीमतों में गिरावट आई।

समीक्षाधीन सप्ताह में जिस सोयाबीन तेल का दाम पहले 1,100 डॉलर था, वह घटकर 1,030-1,040 डॉलर प्रति टन रह गया। इससे सरसों का खपना और मुश्किल हो गया है। देश के पशुचारा और मुर्गीपालन उद्योग ने भविष्य की परिस्थितियों को देखते हुए सरकार के समक्ष मांग उठायी है कि सरसों और चावल भूसी के डी-आयल्ड केक (डीओसी) के निर्यात को प्रतिबंधित किया जाये। उनकी मांग काफी जायज है क्योंकि वे आने वाले पशुचारे और मुर्गीदाने की कमी की स्थिति को भांप रहे हैं। लेकिन देश के मुछ प्रमुख खाद्य तेल संगठनों का कहना है कि देश में इन वस्तुओं का पर्याप्त स्टॉक है। लेकिन इन तेल संगठनों के दावे की परख अक्टूबर-नवंबर में होगी जब सरसों की बिजाई होगी।

सूत्रों ने कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के हवाले से कहा कि सूरजमुखी का एमएसपी 6,700 रुपये क्विंटल होने के बावजूद खरीफ मौसम में सात जुलाई तक सूरजमुखी की बिजाई का रकबा पिछले साल के मुकाबले घटा है। सूत्रों ने कहा कि पिछले साल सूरजमुखी की बिजाई 1.15 लाख हेक्टेयर में हुई थी जो इस बार सात जुलाई तक मात्र 31 हजार हेक्टेयर रह गई है। इसी प्रकार सोयाबीन खेती का रकबा भी 48.28 लाख हेक्टेयर से घटकर 35.63 लाख हेक्टेयर रह गया गया है। इस स्थिति को देखते हुए सरकार को सोयाबीन डीओसी के निर्यात रोकने के बारे में कुछ सोचना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि सूरजमुखी तेल आमतौर पर दक्षिणी राज्यों और महाराष्ट्र में खाया जाता है लेकिन भारी आयात के कारण अब यह सस्ता आयातित तेल पंजाब और हरियाणा आने लगा है जहां से सूरजमुखी तेल दक्षिणी राज्यों में जाता था। अब ऐसी स्थिति में पंजाब और हरियाणा के सूरजमुखी किसान और वहां की सूरजमुखी तेल पेराई मिलें क्या करेंगी? क्या तेल मिलें कामकाज ठप रखेंगी और किसान विदेशों में सूरजमुखी तेल के दाम बढ़ने का इंतजार करेंगे?

सूत्रों ने कहा कि मौजूदा परिस्थिति कायम रही तो सरकार चाहे जितना भी एमएसपी बढ़ा दे, किसानों का भरोसा जीत पाना मुश्किल होगा।

सूत्रों ने कहा कि निर्यात का बाजार होने की वजह से मूंगफली और तिल खेती के रकबे में गिरावट नहीं है। पिछले 17-18 साल में जिस तरह दूध के दाम लगभग तीन गुना बढ़े हैं, उसके मुकाबले खाद्य तेल कीमतों में बेहद साधारण वृद्धि हुई है। दूध की कीमतों का महंगाई पर कहीं अधिक असर होता है लेकिन इसके बारे में कोई चिंता नहीं जताते और देश के तेल संगठन कभी इस बात की वकालत करते नहीं दिखे कि बेहद कम मात्रा में खपत वाले खाद्य तेल का महंगाई पर विशेष असर नहीं होता हैं।

सूत्रों ने कहा कि सबसे चिंता की बात कपास खेती के रकबे में आई गिरावट है। कपास खेती का रकबा पिछले साल सात जुलाई तक 79.15 लाख हेक्टेयर था जो इस बार सात जुलाई तक घटकर 70.56 लाख हेक्टेयर रह गया है। यह बेहद चिंताजनक है क्योंकि सबसे अधिक खल की प्राप्ति हमें बिनौले से ही होती है। इसकी मंडियों में मौजूदा समय में आवक घटकर 25-30 हजार गांठ रह गई है और अगली फसल आने में तीन चार महीने का समय बाकी है।

पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 50 रुपये सुधरकर 5,100-5,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। दूसरी ओर सस्ते आयातित सूरजमुखी तेल की वजह से सरसों तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली। सरसों दादरी तेल का भाव 20 रुपये टूटकर 10,080 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव 5-5 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 1,695-1,775 रुपये और 1,695-1,805 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव 95-95 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 5,120-5,215 रुपये प्रति क्विंटल और 4,885-4,980 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के भाव भी क्रमश: 150 रुपये, 50 रुपये और 300 रुपये घटकर क्रमश: 10,250 रुपये, 10,000 रुपये और 8,400 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।

निर्यात मांग की वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 30 रुपये, 20 रुपये और 10 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 6,685-6,745 रुपये,16,670 रुपये और 2,490-2,765 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 350 रुपये टूटकर 8,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 350 रुपये टूटकर 9,500 रुपये प्रति क्विंटल पर और पामोलीन एक्स कांडला का भाव 300 रुपये घटकर 8,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

गिरावट के आम रुख के अनुरूप देशी बिनौला तेल समीक्षाधीन सप्ताह में 150 रुपये की हानि दर्शाता 9,100 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

राजेश

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