सिलीगुड़ी, सात मार्च प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नए सिरे से मोर्चा खोलते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह ‘‘सबसे बड़े लुटेरे’’ हैं और जानना चाहा कि किस तरह सार्वजनिक उपक्रम के विनिवेश के माध्यम से धन जुटाया गया।
एलपीजी मूल्य में बढ़ोतरी के खिलाफ प्रदर्शन मार्च के बाद यहां एक रैली को संबोधित करते हुए बनर्जी ने आरोप लगाया कि मोदी-शाह के शासनकाल में ‘‘एक सिंडिकेट फल-फूल रहा है’’ और उनकी देखरेख में धन का हेरफेर हो रहा है।
कोलकाता में एक रैली के दौरान ‘‘वास्तविक बदलाव’’ के मोदी के बयान पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘परिवर्तन दिल्ली में होगा, बंगाल में नहीं।’’
प्रधानमंत्री पर राज्य में ‘‘मतदाताओं को गुमराह करने के लिए झूठ का सहारा लेने’’ का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री ने हर नागरिक के बैंक खाते में 15 लाख रुपये क्यों नहीं जमा किए, जैसा कि उन्होंने 2014 के लोकसभा चुनावों से पहले वादा किया था।
बनर्जी ने पूछा, ‘‘रेल, एअर इंडिया और कोल इंडिया लिमिटेड को बेचकर कितना धन इकट्ठा किया गया? पूरा देश मोदी-शाह सिंडिकेट के बारे में जानता है।’’ वह भाजपा के इन आरोपों का जवाब दे रही थीं कि उनके शासन में राज्य में ‘‘कट मनी की संस्कृति’’ को संस्थागत रूप दिया गया है।
टीएमसी सुप्रीमो ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में पूरी दुनिया में कमी आई है लेकिन भारत में ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने इतने वर्षों में कई ‘‘खोखले’’ वादे किए और लोगों को अब उन पर विश्वास नहीं है।
बनर्जी ने अपने संबोधन में कहा, ‘‘आपने कई खोखले वादे किए हैं। लोग हमेशा आपके झूठ को स्वीकार नहीं करेंगे। हम मांग करते हैं कि आप एलपीजी सिलेंडर देश के हर नागरिक के लिए सस्ता करिए। आपने एलपीजी सिलेंडर आम आदमी की पहुंच से दूर कर दिया है।’’
ममता ने राज्य में अपनी सरकार की उपलब्धियां भी गिनाईं।
टीएमसी के ‘खेला होबे’ नारे पर मोदी द्वारा कटाक्ष किए जाने का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि हम आपकी चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं। और हम हैं... चुनावों से पहले खेल होगा। मैं आमने-सामने चर्चा के लिए तैयार हूं।’’
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि मोदी को ‘‘झूठ बोलने की अपनी आदत पर शर्मिंदा होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह बंगला में भाषण देते हैं जबकि स्क्रिप्ट हमेशा गुजराती में लिखा होता है और उनके सामने पारदर्शी शीशे के अंदर रखा होता है। वह बहाना करते हैं कि वह अच्छी तरह बांग्ला जानते हैं।’’
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