G20 Summit: PM मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मुक्त, खुले, समावेशी हिंद-प्रशांत के समर्थन में क्वाड के महत्व पर दिया जोर, दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान
PM मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Photo Credits: ANI/Twitter)

नयी दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मुक्त, खुले, समावेशी और लचीले हिंद-प्रशांत का समर्थन करने में क्वाड समूह के महत्व पर शुक्रवार को जोर दिया. दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता के बाद जारी संयुक्त बयान में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री 2024 में भारत की मेजबानी में होने वाले अगले ‘क्वाड’ नेताओं के शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं.

‘क्वाड’ समूह में भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं. क्वाड क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता की पृष्ठभूमि में एक मुक्त और खुले हिंद-प्रशांत को सुनिश्चित करने के लिए व्यावहारिक सहयोग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. G20 Summit: जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन, वीके सिंह ने किया स्वागत

आर्थिक और दोनों देशों के लोगों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मोदी और बाइडन के बीच व्यापक बातचीत के बाद संयुक्त बयान जारी किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच मित्रता वैश्विक भलाई को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रहेगी.

अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में राष्ट्रपति बाइडन की यह पहली भारत यात्रा है. इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने फरवरी 2020 में भारत की यात्रा की थी. बयान में कहा गया है, ‘‘मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने मुक्त, खुले, समावेशी और लचीले हिंद-प्रशांत का समर्थन करने में ‘क्वाड’ के महत्व को दोहराया.’’

इसमें कहा गया है कि भारत ने जून 2023 में हिंद-प्रशांत महासागर पहल (आईपीओआई) में शामिल होने के अमेरिका के फैसले के साथ ही व्यापार सम्पर्क और समुद्री परिवहन पर ‘इंडो-पैसिफिक ओशन इंनिशिएटिव पिलर’ का सह-नेतृत्व करने के उसके फैसले का भी स्वागत किया.

बयान में कहा गया है कि इस विचार को साझा करते हुए कि वैश्विक शासन अधिक समावेशी और प्रतिनिधिक होनी चाहिए, बाइडन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के लिए अपने समर्थन की पुष्टि भी की जिसमें भारत एक स्थायी सदस्य हो. साथ ही उन्होंने इस संदर्भ में, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में 2028-29 के लिए भारत की गैर स्थायी सीट की दावेदारी का एक बार फिर स्वागत किया.

इसके अनुसार, दोनों नेताओं ने बहुपक्षीय प्रणाली को मजबूत करने और सुधार करने की आवश्यकता को भी रेखांकित किया ताकि यह समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित कर सके और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की सदस्यता की स्थायी एवं गैर-स्थायी श्रेणियों में विस्तार सहित संयुक्त राष्ट्र के व्यापक सुधार एजेंडे के लिए प्रतिबद्ध रहे.

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