Maratha Reservation: शरद पवार-उद्धव ठाकरे की बैठक में मराठा आरक्षण, लोकसभा व विधानसभा चुनावों की तैयारियों पर हुई चर्चा- संजय राउत
शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार की कल हुई बैठक में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की तेज हुई मांग की वजह से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति और आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई.
मुंबई, 8 नवंबर : शिवसेना (यूबीटी) नेता संजय राउत ने बुधवार को कहा कि पार्टी अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार की कल हुई बैठक में महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की तेज हुई मांग की वजह से उत्पन्न राजनीतिक स्थिति और आगामी लोकसभा एवं विधानसभा चुनावों की तैयारियों को लेकर चर्चा हुई. राउत ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि कल ठाकरे और पवार की बैठक राकांपा (शरद पवार गुट) अध्यक्ष के आवास ‘सिल्वर ओक’ पर हुई और यह करीब डेढ़ घंटे तक चली.
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस नेता बैठक में शामिल नहीं थे क्योंकि वे पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव के प्रचार में व्यस्त हैं. उद्धव जी और पवार साहेब ने मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हुए प्रदर्शनों के बाद महाराष्ट्र में उत्पन्न राजनीतिक स्थिति और विपक्ष द्वारा इस पर अपनाए जाने वाले रुख को लेकर चर्चा की. शिवसेना (यूबीटी) सांसद ने कहा कि अगर लोकसभा चुनाव के साथ ही महाराष्ट्र विधानसभा के भी चुनाव होते हैं तो उस समय विपक्ष की क्या रणनीति होनी चाहिए और सीट बंटवारे के फार्मूले पर भी चर्चा की गई. उन्होंने कहा कि अंतिम बैठक दिल्ली में होगी. राउत ने कहा कि महा विकास आघाडी (एमवीए) के घटकों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर कोई असहमति नहीं है और सब कुछ सुचारु रूप से तय हो जाएगा. यह भी पढ़ें : PhD on PM Modi: पीएम मोदी पर मुस्लिम महिला नजमा ने की पीएचडी, वाराणसी के BHU की है छात्रा, जानें शोध में कितने साल लगा समय- VIDEO
एमवीए में शिवसेना (यूबीटी), शरद पवार नीत राकांपा और कांग्रेस शामिल हैं. तीनों पार्टियां (जब शिवसेना और राकांपा का विभाजन नहीं हुआ था) नवंबर 2019 में महाराष्ट्र की सत्ता में आई लेकिन एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में जून 2022 में बगावत होने के बाद उद्धव ठाकरे नीत सरकार का पतन हो गया. शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के 39 विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर सरकार बना ली और शिंदे मुख्यमंत्री बने. राकांपा नेता अजित पवार और आठ विधायक भी इस साल जुलाई में शिंदे सरकार में शामिल हो गए.