नागपुर (महाराष्ट्र), 21 दिसंबर नागपुर में महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में विपक्षी सदस्यों ने बुधवार को प्रदर्शन किया और वे यहां एक सरकारी जमीन के आवंटन के मुद्दे पर मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे।
जमीन आवंटन का यह मामला तब का है, जब शिंदे पूर्ववर्ती महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार में शहरी विकास मंत्री थे।
शिवसेना के शिंदे की अगुवाई वाले धड़े और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने भी विधान भवन परिसर में प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) की उप नेता सुषमा अंधारे ने संतों और हिंदू देवी-देवताओं का अपमान किया है।
बंबई उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती एमवीए सरकार में मंत्री रहने के दौरान शिंदे द्वारा झुग्गी निवासियों के लिए रखी गई भूमि को निजी व्यक्तियों को आवंटित करने के फैसले पर हाल ही में यथास्थिति का आदेश दिया है।
राज्य विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने मंगलवार को कहा था कि शहरी विकास विभाग के तहत आने वाले नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) ने झुग्गी निवासियों के वास्ते मकान के निर्माण के लिए शहर में 4.5 एकड़ की जमीन सुरक्षित रखी थी।
उन्होंने दावा किया, ‘‘हालांकि, शिंदे ने यह जमीन 1.5 करोड़ रुपये की कीमत पर 16 लोगों को देने का आदेश जारी किया था। जमीन की मौजूदा कीमत 83 करोड़ रुपये है।’’
विपक्षी दलों के सदस्यों ने मंगलवार को शिंदे का इस्तीफा भी मांगा, लेकिन मुख्यमंत्री ने आरोपों को खारिज किया और इस्तीफा देने से इनकार कर दिया।
बुधवार को राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता अजित पवार, दानवे, कांग्रेस विधायक नाना पटोले और एमवीए के अन्य नेताओं ने जमीन आवंटन विवाद पर प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री शिंदे के इस्तीफे की मांग की।
वहीं, भाजपा नेता प्रवीण दरेकर, गोपीचंद पडलकर, श्वेता महाले और शिंदे खेमे के सदस्यों ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता अंधारे द्वारा संतों का कथित तौर पर अपमान किए जाने को लेकर प्रदर्शन किया।
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