देश की खबरें | महाराष्ट्र : अपहरण, बलात्कार मामले में अदालत ने चार आरोपियों को बरी किया
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 2015 में एक लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में आरोपी एक व्यक्ति एवं तीन अन्य लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
ठाणे (महाराष्ट्र), तीन अप्रैल महाराष्ट्र के ठाणे जिले की एक विशेष अदालत ने 2015 में एक लड़की के अपहरण और बलात्कार के मामले में आरोपी एक व्यक्ति एवं तीन अन्य लोगों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पॉक्सो) अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश पी. एम. गुप्ता ने 31 मार्च को पारित आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष संदेह से परे आरोपों को साबित करने में नाकाम रहा।
न्यायाधीश ने कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर पाया कि घटना के वक्त पीड़ित नाबालिग थी ताकि आरोपियों के खिलाफ पॉक्सो अधिनियम के तहत आरोप तय किए जा सकें। आदेश की प्रति सोमवार को उपलब्ध कराई गई।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि नवी मुंबई निवासी 26 वर्षीय व्यक्ति उसी इलाके में रहने वाली पीड़िता से प्यार करता था और उससे शादी करना चाहता था। 14 अगस्त, 2015 को व्यक्ति, उसकी मां और एक अन्य दंपति कथित रूप से पीड़िता को पड़ोस के रायगढ़ जिले के पनवेल इलाके के एक गांव में व्यक्ति की बहन के घर ले गए।
उन्होंने कथित तौर पर उसे व्यक्ति से शादी करने के लिए मजबूर किया, जिसने बाद में उससे बलात्कार किया। पीड़िता दूसरे दिन घर लौटी और परिजनों को घटना की जानकारी दी। बाद में शिकायत के आधार पर, व्यक्ति और तीन अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया और उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।
न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष ने पीड़िता का जन्म प्रमाण पत्र या प्राथमिक विद्यालय द्वारा जारी उसका प्रमाण पत्र पेश नहीं किया, जो पॉक्सो अधिनियम के तहत अपराध को साबित करने के लिए अनिवार्य है।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने मध्य/माध्यमिक विद्यालय द्वारा जारी प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया है, जो घटना के समय पीड़िता की उम्र साबित करने के लिए स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।
इसके विपरीत चिकित्सकीय साक्ष्य के अनुसार पीड़िता ने मेडिकल जांच के दौरान अपनी उम्र 18 वर्ष बताई। न्यायाधीश ने कहा कि इसलिए पॉक्सो अधिनियम के प्रावधान इस मामले पर लागू नहीं होते हैं और मामले में ठोस एवं विश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर यह कहा जा सकता है कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में नाकाम रहा है कि आरोपी ने पीड़िता का बलात्कार किया है। इसलिए मामले में सभी आरोपियों को बरी किया जाता है।
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