Mahakumbh 2025: एनजीटी ने उप्र सरकार को व्यापक अवजल प्रबंधन योजना के बारे में रिपोर्ट दाखिल करने का समय दिया

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को आगामी महाकुंभ मेले के लिए “व्यापक अवजल प्रबंधन प्रणाली” योजना पेश करने के लिए समय दे दिया है. वर्ष 2025 का महाकुंभ 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा.

Mahakumbh-2025 (img: file photo)

नयी दिल्ली, 14 दिसंबर : राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश सरकार को आगामी महाकुंभ मेले के लिए “व्यापक अवजल प्रबंधन प्रणाली” योजना पेश करने के लिए समय दे दिया है. वर्ष 2025 का महाकुंभ 13 जनवरी (पौष पूर्णिमा) से 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) तक प्रयागराज में आयोजित किया जाएगा. इसका आयोजन प्रत्येक 12 वर्ष में किया जाता है. एनजीटी प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों में अवजल (सीवेज) छोड़ने पर रोक लगाने के मुद्दे पर सुनवाई कर रहा था.

नौ दिसंबर के आदेश में एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की पीठ ने उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) की दलीलों पर गौर किया, जिसमें उन्होंने ‘‘महाकुंभ के लिए तैयार की गई व्यापक अवजल प्रबंधन प्रणाली के बारे में जानकारी देने के लिए तीन दिन का समय मांगा था.”

एनजीटी ने कहा, “इस योजना में कुंभ मेला क्षेत्र में उत्पन्न होने वाले अनुमानित अवजल और वहां स्थापित की जा रहीं शोधन सुविधा के बारे में खुलासा किया जाए, ताकि कुंभ मेले में उत्पन्न अनुपचारित अवजल को गंगा और यमुना नदियों में जाने से रोका जा सके.” एनजीटी ने कहा, “रिपोर्ट के अंदर प्रयागराज शहर में अवजल में अपेक्षित वृद्धि का भी उल्लेख किया जाए.” मामले की सुनवाई करने वाली एनजीटी की पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे. यह भी पढ़ें : संभल जिला प्रशासन ने अतिक्रमण रोधी अभियान के दौरान पुराने मंदिर को खोला

पीठ ने कहा कि योजना में नदियों से जुड़े नालों का विवरण और उनके अवजल को उपचारित करने की विधि का भी खुलासा करने की आवश्यकता है, ताकि दोनों नदियों में अनुपचारित अवजल को खत्म करने का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके. एनजीटी ने कहा, "इस संबंध में दिए गए अनुबंधों, उपलब्ध कराए गए धन व भूमि और जिम्मेदार एजेंसी के संबंध में स्पष्ट रूप से खुलासा किया जाना चाहिए." पीठ ने सुनवाई के बाद राज्य के पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव को तीन दिन में रिपोर्ट दाखिल करने की अनुमति दी. मामले पर अगली सुनवाई के लिए 16 दिसंबर की तिथि तय की गई है

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