जरुरी जानकारी | ऊंचे भाव पर मांग कमजोर पड़ने से सरसों में नरमी, पामोलिन, सोयाबीन के दाम चढ़े

नयी दिल्ली, चार अप्रैल खाद्य तेल बाजार में बीते सप्ताह सतत मजबूती का रुख जारी रहा। गत तीन अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान सरसों तेल को छोड़कर अन्य सभी तिलहन और तेलों में जोरदार तेजी का रुख रहा। विदेशों में भाव ऊंचे बने रहने से सोयाबीन डीगम और पाम तेल में मजबूती बरकरार है। वहीं ऊंचे भाव पर उठाव कुछ कमजोर पड़ने से सरसों तेल सप्ताह के दौरान कुछ नरम पड़ गया, हालांकि सरसों तिलहन में मजबूती का रुख बना हुआ है।

बाजार सूत्रों द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक पिछले सप्ताह में मंडियों में सरसों की आवक कुछ कमजोर पड़ी है। पहले जहां 10 से 11 लाख बोरी सरसों की आवक हो रही थी वहीं अब किसानों ने माल लाना कम कर दिया है और सप्ताहांत आते-आते यह आवक कम होकर आठ से नौ लाख बोरी रह गई। यही वजह है कि सरसों का भाव सप्ताह के दौरान 115 रुपये बढ़कर 5,985 से लेकर 6,025 रुपये क्विंटल के दायरे में पहुंच गया। सप्ताह भर पहले 27 मार्च को यह 5,860- 5,910 रुपये क्विंटल पर चल रही था।

वहीं इस दौरान तेल सरसों मिल डिलिवरी ऊंचे पर मांग कमजोर पड़ने से 150 रुपये गिरकर 12,400 रुपये क्विंटल रह गया। सरसों पक्की घानी और कच्ची घानी टिनों के भाव में भी 105 से 110 रुपये तक निकल गये। हालांकि बाजार में अंतरधारणा मजबूती की बनी हुई है।

विदेशों में भाव ऊंचे बने रहने से सोयाबीन और पामोलिन तेल में लगातार तेजी का रुख बना हुआ है। सोयाबीन की तेल रहित खल की निर्यात मांग जारी रहने से भी सोयाबीन में तेजी जारी है। सोयाबीन तिलहन मिल डिलिवरी का भाव 300 रुपये तक उछल गया और सप्ताहांत 6,300 से 6,350 रुपये क्विंटल के दायरे में बोला गया। वहीं लूज का भाव भी इतना ही बढ़कर 6,250- 6,300 रुपये क्विंटल पर रहा। सरिस्का मक्का खल का भाव भी मजबूती में रहते हुये 3,610 रुपये क्विंटल हो गया। यही स्थिति सोयाबीन तेल में भी है। सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली सप्ताह के दौरान 130 रुपये बढ़कर 13,950 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया, सोयाबीन तेल इंदौर 150 रुपये बढ़कर 13,750 रुपये क्विंटल हो गया। कांडला पोर्ट पर यह 300 रुपये बढ़कर 12,720 रुपये क्विंटल तक बोला गया।

यही हाल पाम तेल का है। कच्चा पाम तेल एक्स कांडला सप्ताह के दौरान 170 रुपये बढ़कर 11,580 रुपये और आरबीडी पामोलिन, दिल्ली 40 रुपये बढ़कर 13,200 रुपये क्विंटल हो गया।

बिनौला तेल में भी मांग का जोर है। बिनौला मिल डिलिवरी हरियाणा 200 रुपये बढ़कर 13,100 रुपये हो गया। वहीं मूंगफली तेल सप्ताह के दौरान 250 रुपये बढ़कर 15,500 रुपये क्विंटल पर पहुंच गया। हालांकि, मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल 2,470- 2,530 रुपये प्रति टिन पर टिका रहा।

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि यदि भारत तिलहन और खाद्य तेलों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल कर लेता है तो वह फिर एक बार सोने की चिड़िया बन सकता है। किसानों को सरसों, सूरजमुखी, सोयाबीन, मूंगफली तिलहनों के भाव यदि अच्छे मिलें तो वह उनका उत्पादन बढ़ाने को प्रोत्साहित होंगे। इस समय सरसों और सोयाबीन के मामले में स्थिति काफी अनुकूल बनी हुई है। इनके भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचे बने हुये हैं।

विशेषज्ञों के मुताबिक दरअसल विदेशों से पाम तेल और सोयाबीन डीगम का सस्ता आयात अक्सर घरेलू तेल तिलहन बाजार पर हावी हो जाता है। इन दिनों विदेशों में भी भाव ऊंचे हैं इसलिये घरेलू बाजार में भी तेजी का रुख बना हुआ है लेकिन यदि विदेशों में बाजार टूटा तब घरेलू बाजार को किस प्रकार संतुलित स्तर पर रखा जा सकता है इसको लेकर नीति-निर्माताओं को सोच विचार करना चाहिये।

जानकारों के मुताबिक यदि देश में सोयाबीन, मूंगफली, सरसों तेल तिलहन के उत्पादन को प्रोत्साहन मिलता हे तो न केवल विदेशों से हर साल होने वाला सवा लाख करोड़ रुपये से अधिक का खाद्य तेलों के आयात पर अंकुश लगेगा बल्कि सोयाबीन खली, मूंगफली का निर्यात भी बढ़ेगा और करोड़ों रुपये की विदेशी मुद्रा भी कमाई जा सकेगी। इसके साथ ही उद्योग में रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। सरकार यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करती है, तो तिलहन उत्पादक किसान बाजार में यह भाव मिलने की भी इच्छा रखते हैं।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)