नयी दिल्ली, चार अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने मथुरा के कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में हिंदू पक्ष से संबंधित सभी वाद को एकीकृत करने के इलाहबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर मस्जिद कमेटी की याचिका पर शुक्रवार को नोटिस जारी किए।
उच्च न्यायालय ने पिछले साल 23 अक्टूबर को शाही मस्जिद ईदगाह ट्रस्ट की प्रबंधन समिति की एक अर्जी खारिज कर दी थी, जिसमें 11 जनवरी के अदालती आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया गया था। उक्त आदेश में, मामले में हिंदू पक्ष के सभी वाद को एक साथ जोड़ दिया गया था।
पिछले वर्ष 19 मार्च को उच्चतम न्यायालय ने मस्जिद कमेटी से कहा था कि वह मामलों को जोड़ने के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील करे। इसके बाद कमेटी ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति के. वी. विश्वनाथन की पीठ ने मस्जिद कमेटी के वकील, और कुछ हिंदू वादी का प्रतिनिधित्व कर रहे अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन की दलीलों पर गौर किया और नोटिस जारी किए।
पीठ ने कहा कि सभी प्रतिवादियों को सात दिन के अंदर नोटिस भेजे जाएं।
मस्जिद कमेटी ने अपनी याचिका में "भगवान श्रीकृष्ण विराजमान" के अलावा 10 पक्षकारों को प्रतिवादी बनाया है।
पीठ ने याचिका पर सुनवाई 8 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी, जब वह कृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद से संबंधित मामलों पर सुनवाई करेगी।
यह विवाद मुगल बादशाह औरंगजेब के दौर की शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित है, जिसके बारे में हिंदू पक्ष का दावा है कि इसे भगवान कृष्ण के जन्म स्थान पर एक मंदिर को ध्वस्त करने के बाद बनाया गया था।
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