नयी दिल्ली, एक मई कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करने और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के उद्देश्य से भारत ने रक्षात्मक एवं चिकित्सा उपकरणों का उत्पादन तेज कर दिया है।
दुनिया की बहुत बड़ी आबादी को अपनी गिरफ्त में ले चुके कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए आवश्यक रक्षात्मक एवं चिकित्सा उपकरणों की विश्व भर में बहुत ज्यादा मांग है। साथ ही भारत इन वस्तुओं के लिए विदेशों पर निर्भरता भी कम करना चाहता है।
कोविड-19 से निपटने में इस्तेमाल होने वाले इन सुरक्षा उपकरणों के स्वेदश में ही उत्पादन को बढ़ावा देने की कोशिश के तहत यह कदम उठाया गया है।
केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि 2.22 करोड़ व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) के लिए ऑर्डर दिए गए हैं, जिनमें 1.42 करोड़ का निर्माण घरेलू विनिर्माता करेंगे और शेष का आयात किया जाएगा।
देश में कोविड-19 से जुड़े विषय पर अधिकार प्राप्त समूह-3 के प्रमुख पी डी वाघेला ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में करीब 19,398 वेंटिलेटर उपब्लध हैं तथा 60,884 और वेंटिलेटरों के लिए ऑर्डर दिए गए हैं, जिनमें से 59,884 का निर्माण घरेलू विनिर्माता करेंगे।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने संकेत दिए हैं कि जून 2020 तक 75,000 वेंटिलेटरों की संभावित मांग हो सकती है।
कोरोना वायरस महामारी की रोकथाम के लिए योजना बनाने और उसके कार्यान्वयन के लिए गठित उच्चाधिकार प्राप्त 11 समूहों में एक के अध्यक्ष वाघेला ने कहा कि दो करोड़ पीपीई की संभावित मांग के मद्देनजर 2.22 करोड़ पीपीई के लिए ऑर्डर दिए गए हैं।
औषध विभाग के सचिव वाघेला ने कहा, ‘‘पूर्व में, हमारे पास देश में पीपीई का कोई विनिर्माता नहीं था और इनमें से लगभग सभी का आयात किया जाता था। अब हमारे पास 111 स्वदेशी विनिर्माता हैं।’’
उन्होंने कहा कि देश में पीपीई की उत्पादन क्षमता इतनी बढ़ गई है कि आज यह चीन के बाद भारत में सबसे बड़ा, 7,000 करोड़ रुपये का उद्योग बन गया है।
सरकार के अनुसार, वर्तमान में पीपीई का घरेलू उत्पादन प्रति दिन करीब 1.87 लाख है।
वाघेला ने कहा कि कुल 2.49 करोड़ एन-95/एन-99 मास्क के आर्डर दिए गए हैं, जिनमें 1.49 करोड़ मास्क के आर्डर घरेलू विनिर्माताओं को दिए गए हैं।
दवाइयों और अन्य मेडिकल उपकरणों के उत्पादन के विषय पर उन्होंने कहा, ‘‘हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन (की गोलियों) का उत्पादन प्रति महीने 12.23 करोड़ से बढ़कर 30 करोड़ हो गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चार लाख से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं, जो अभी के लिए पर्याप्त हैं। इसके अलावा, एक लाख से अधिक ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए ऑर्डर दिए गए हैं। औद्योगिक ऑक्सीजन को मेडिकल ऑक्सीजन में तब्दील किया जा रहा है।
वाघेला ने यह भी कहा कि 35 लाख आरटी-पीसीआर जांच किट की मांग के मद्देनजर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद ने 21 लाख से अधिक किट के लिए ऑर्डर दिया है और 14 लाख किट पहले ही प्राप्त हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि सरकार के समक्ष विश्व में चिकित्सा आपूर्ति की अत्यधिक मांग और देश में पीपीई तथा एन-95 मास्क के लिए कोई उत्पादन इकाई न होने सहित कई चुनौतियां हैं।
वाघेला ने कहा, ‘‘आवश्यक चिकित्सा आपूर्ति का बड़ी मात्रा में आयात किया गया।’’
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,993 नए मामले सामने आए हैं, जिससे कुल मामले बढ़कर 35,043 हो गए हैं।
कोरोना वायरस से 72 और लोगों की मौत के साथ ही देश में इस महामारी से मरनेवालों की संख्या 1,147 हो गई है।
मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना वायरस के मामलों के हिसाब से देश में 130 जिलों को रेड जोन, 284 को ऑरेंज और 319 जिलों को ग्रीन जोन में सूचीबद्ध किया है।
इन इलाकों में कोविड-19 मामलों की संख्या, मामलों के दोगुना होने की दर, जांच की क्षमता और निगरानी एजेंसियों से मिली जानकारी के आधार पर इन्हें श्रेणीबद्ध किया गया है।
गौरतलब है कि देश में कोरोना वायरस महामारी के प्रसार को देखते हुए लॉकडाउन को फिर से आगे बढ़ा कर 4 मई से 17 मई तक कर दिया गया है। इस अवधि में सामान्य गतिविधियों को लेकर नए दिशानिर्देश भी जारी किए गए हैं।
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