नयी दिल्ली, चार जनवरी तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमा पर आन्दोलन कर रहे किसानों पर पुलिस की कथित ज्यादतियों की जांच कराने के लिये पंजाब विश्वविद्यालय के 35 छात्रों ने प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और अन्य न्यायाधीशों को पत्र लिखा है।
विश्वविद्यालय के सेन्टर फॉर ह्यूमन राइट्स एंड ड्यूटीज के इन छात्रों ने अपने खुले पत्र में आरोप लगाया है कि शांतिपूर्ण तरीके से आन्दोलन कर रहे किसानों पर पुलिस ने कथित रूप से अवैध तरीके से पानी की बौछार की, आंसू गैस के गोले दागे और लाठी चार्ज किया है। पत्र में पुलिस की इस ज्यादती की जांच कराने का अनुरोध किया गया है।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले छात्रों में शामिल आंचल सावा ने पीटीआई को बताया कि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री ने इस पत्र का डायरी नंबर प्रदान किया है जिसे जनहित याचिका के रूप में पंजीकृत करके सुना जा सकता है।
इस पत्र में पुलिस ज्यादतियों के साथ ही कुछ प्रदर्शनकारियों को गैरकानूनी तरीके से हिरासत में लिये जाने का भी उल्लेख किया गया है। इन छात्रों ने इस पत्र में पुलिस ज्यादतियों की जांच कराने और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज सारे मामले वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
इन छात्रों ने पत्र के साथ किसानों पर पुलिस की ज्यादतियों को दर्शाने वाली कुछ तस्वीरें भी संलग्न की है।
इससे पहले, पिछले साल 17 दिसंबर को शीर्ष अदालत ने किसानों के इस आन्दोलन में हस्तक्षेप करने से इंकार करते हुये कहा था कि उन्हें भी विरोध प्रदर्शन करने का मौलिक अधिकार है और उन्हें बगैर किसी अवरोध के आन्दोलन जारी रखने दिया जाये।
न्यायालय ने इसी दौरान सारे विवाद का हल खोजने के लिये केन्द्र से फिलहाल इन कानूनों पर अमल स्थगित रखने और एक स्वतंत्र समिति गठित करने का सुझाव दिया था।
यह मामला अगले कुछ दिनों में सूचीबद्ध होने की संभावना है।
अनूप
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)