कोच्चि, 24 मई केरल उच्च न्यायालय ने 2014 के एक दोहरे हत्याकांड में एक आईटी पेशेवर और उसकी महिला सहकर्मी-सह-प्रेमिका की दोषसिद्धि शुक्रवार को बरकरार रखी, लेकिन मुख्य अभियुक्त (प्रेमी) के मृत्युदंड को बदलकर 25 वर्ष के आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।
यह मामला महिला की तीन साल की लड़की और उसकी सास की हत्या मिलकर करने और महिला के पति की हत्या के प्रयास से जुड़ा है।
उच्च न्यायालय ने महिला को अधीनस्थ अदालत द्वारा 2016 में सुनायी गयी उम्रकैद की सजा भी कायम रखी।
न्यायमूर्ति पी. बी. सुरेश कुमार और न्यायमूर्ति जॉनसन जॉन ने अलग-अलग लेकिन सहमति वाला फैसला सुनाते हुए नीनो मैथ्यू एवं अनु शांति को 2016 में अधीनस्थ अदालत द्वारा दोषी करार देने के आदेश पर मुहर लगायी।
हालांकि, पीठ का मत था कि मैथ्यू को मृत्युदंड के स्थान पर उम्रकैद की सजा देने का यह उपयुक्त मामला है, लेकिन उसका उम्रकैद (सामान्य अवधि) 14 साल से अधिक होगा एवं उसे कैद की वास्तविक अवधि (25 साल की अवधि) के पूरा होने से पहले जेल से रिहा नहीं किया जाएगा।
अधीनस्थ अदालत ने 2016 में मैथ्यू और शांति को भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 449 (गैरकानूनी तरीक से किसी परिसर में प्रवेश करना), 201 (सबूत नष्ट करना) और 380 (चोरी) समेत विभिन्न धाराओं तथा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67ए के तहत दोषी ठहराया था। ये दोनों तिरुवनंतपुरम के टेक्नोपार्क में एक आईटी कंपनी में कार्य करते थे।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, मैथ्यू एवं शांति के बीच विवाहेतर संबंध था और दोनों ने अपने संबंध को जारी रखने के लिए उसके (शांति के) पति एवं बेटी की हत्या की साजिश रच डाली।
अभियोजन पक्ष के अनुसार 16 अप्रैल, 2014 को मैथ्यू ने किसी धारदार हथियार से वार कर शांति की बेटी एवं सास की हत्या कर दी तथा उसके पति का इंतजार किया। उसने उसके पति पर भी वार किया, लेकिन वह उसे बस घायल ही कर पाया।
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