देश की खबरें | अंतरिम जमानत पर उच्च न्यायालय के रोक लगाने के खिलाफ केजरीवाल ने न्यायालय में याचिका दायर की

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

नयी दिल्ली, 23 जून दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कथित आबकारी घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में उन्हें जमानत देने के निचली अदालत के आदेश पर दिल्ली उच्च न्यायालय की अंतरिम रोक के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

मुख्यमंत्री के वकीलों में से एक ने कहा कि वे याचिका को सोमवार को तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध करेंगे।

निचली अदालत ने 20 जून को केजरीवाल को जमानत दे दी थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को इस पर अंतरिम रोक लगा दी थी।

आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल को 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को संघीय धनशोधन निरोधक एजेंसी को अंतरिम राहत नहीं दी होती, तो वह (मुख्यमंत्री) शुक्रवार को तिहाड़ जेल से बाहर आ सकते थे।

उच्च न्यायालय की एक अवकाशकालीन पीठ ने कहा था कि अगले आदेश तक जिस फैसले को चुनौती दी गई है, उसका क्रियान्वयन स्थगित रहेगा। उच्च न्यायालय ने दोनों पक्षों को 24 जून तक लिखित दलील दाखिल करने को कहा था।

अदालत ने याचिका पर सुनवाई के लिए 10 जुलाई की तारीख तय की है।

उच्च न्यायालय ने कहा था कि वह दो-तीन दिन के लिए आदेश सुरक्षित रख रहा है, क्योंकि वह पूरे मामले के रिकार्ड का अवलोकन करना चाहता है।

अदालत ने केजरीवाल को नोटिस जारी कर ईडी की उस याचिका पर जवाब मांगा है, जिसमें निचली अदालत के 20 जून के आदेश को चुनौती दी गई है, जिसके तहत उन्हें जमानत दी गई थी।

उच्च न्यायालय में ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस.वी. राजू ने दलील दी थी कि निचली अदालत का आदेश “विकृत”, “एकतरफा” और “गलत” था और निष्कर्ष अप्रासंगिक तथ्यों पर आधारित थे।

निचली अदालत के आदेश पर रोक लगाने की मांग करते हुए राजू ने दलील दी थी कि ईडी को अपना पक्ष रखने के लिए पर्याप्त अवसर नहीं दिया गया। निचली अदालत के आदेश पर रोक संबंधी ईडी की अर्जी का केजरीवाल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी और विक्रम चौधरी ने कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) प्रवर्तन निदेशालय के लिए उपलब्ध नहीं है, जो व्यक्ति की स्वतंत्रता को निम्न प्राथमिकता देता है।

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