जोधपुर (राजस्थान), नौ अगस्त उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने न्यायिक अधिकारियों से हाल में लागू किए गए तीन नए आपराधिक कानूनों को लेकर ‘मिशन मोड’ में रहने का शुक्रवार को आह्वान किया और इन कानूनों को क्रांतिकारी बताया।
भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) ने क्रमशः भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है और ये एक जुलाई से प्रभावी हो गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ये कानून हमें औपनिवेशिक विरासत से मुक्त करने और उसकी मानसिकता से छुटकारा दिलाने के लिए हैं। ये कानून हमारे द्वारा, हमारे लिए हैं...।’’
धनखड़ ने जोधपुर में एक राज्य स्तरीय सम्मेलन में न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ (नए कानूनों को लेकर) ‘मिशन मोड’ में रहें, इनके प्रति जुनूनी बनें, लोगों को इनकी जरूरत है। क्रांतिकारी बदलाव आए हैं। इन कानूनों को लागू करने में आपकी तैयारी और भागीदारी ही इस क्रांतिकारी कदम की सफलता को निर्धारित करेगी।’’
उन्होंने कहा कि इसमें न्यायिक अधिकारी सबसे महत्वपूर्ण पक्षकार हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि नए कानून आपराधिक न्याय प्रणाली में एक बहुत बड़ा क्रांतिकारी, परिवर्तनकारी कदम है और इनमें सभी हितधारकों को शामिल करके हर प्रावधान की बारीकी से जांच की गई है।
उन्होंने कहा कि जब नए कानूनों पर बहस हो रही थी, तो राज्यसभा के ‘‘कानून के दिग्गज जानकार’’ सदस्यों पी चिदंबरम, कपिल सिब्बल, केटीएस तुलसी, अभिषेक सिंघवी, विवेक तन्खा ने ‘‘चुप्पी साधे रखी’’। उपराष्ट्रपति ने कहा कि वह तब स्तब्ध एवं आश्चर्यचकित रह गए जब "पूर्व गृह मंत्री और हार्वर्ड विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र चिदंबरम ने सदन के बाहर बयान दिया।"
उन्होंने कहा कि वह चिदंबरम द्वारा सदन के बाहर कानूनों को लेकर की गई आपत्तियों से आश्चर्यचकित हैं। धनखड़ ने कहा कि वह इस बात से प्रभावित नहीं होते कि कोई हार्वर्ड से है या कैम्ब्रिज से।
उन्होंने कहा कि मानव जीवन का सबसे कीमती पहलू स्वतंत्रता है।
उन्होंने अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बारे में कहा, "लोग लोकतंत्र से प्यार करते हैं क्योंकि वे स्वतंत्रता को अपनी जीवन रेखा मानते हैं।"
इस समारोह में राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और अन्य न्यायाधीश एवं वकील मौजूद थे।
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