विदेश की खबरें | जापान फुकुशिमा परमाणु संयंत्र के उपचारित रेडियोधर्मी अपशिष्ट जल को बृहस्पतिवार से समुद्र में छोड़ेगा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on world at LatestLY हिन्दी. यह एक विवादित किंतु सुनामी से 12 साल पहले क्षतिग्रस्त हुए संयंत्र को बंद करने की दिशा में दशकों तक चलने वाले कार्य के लिए एक आवश्यक कदम है।

श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

यह एक विवादित किंतु सुनामी से 12 साल पहले क्षतिग्रस्त हुए संयंत्र को बंद करने की दिशा में दशकों तक चलने वाले कार्य के लिए एक आवश्यक कदम है।

देश के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने योजना में शामिल कैबिनेट मंत्रियों की बैठक में मंगलवार को इस कार्य के लिए मंजूरी दी और ‘तोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी होल्डिंग्स’ को निर्देश दिया कि यदि मौसम और समुद्री परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं, तो वह बृहस्पतिवार को जल छोड़ना शुरू करे।

किशिदा ने बैठक में कहा कि 11 मार्च, 2011 के बाद हुई आपदा के बाद संयंत्र को पूरी तरह बंद करने की दिशा में पानी छोड़ा जाना आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने सुरक्षा सुनिश्चित करने, मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रतिष्ठा को हो सकने वाली क्षति को रोकने के लिए और देश के भीतर एवं बाहर वैज्ञानिक स्पष्टीकरण एवं पारदर्शिता मुहैया कराने के लिए हर संभव कोशिश की है।

किशिदा ने संकल्प लिया कि सरकार पानी छोड़े जाने और संयंत्र बंद करने की दशकों की प्रक्रिया के दौरान ये प्रयास जारी रखेगी।

जापान में आए भीषण भूकंप और सुनामी ने फुकुशिमा दाइची संयंत्र की शीतलन (कूलिंग) प्रणाली को नष्ट कर दिया था, जिससे इसके तीन रिएक्टर पिघल गए थे और उनका शीतलन जल दूषित हो गया था। इस पानी को लगभग 1,000 टैंक में एकत्र, शोधित और संग्रहित किया गया है।

उपचारित अपशिष्ट जल को छोड़े जाने की प्रक्रिया का मछुआरा संगठन कड़ा विरोध कर रहे हैं। परमाणु आपदा से उबरने के लिए संघर्ष कर रहे इन मछुआरों को आशंका है कि यह जल छोड़े जाने से उनके समुद्री भोजन को और नुकसान पहुंचेगा।

दक्षिण कोरिया और चीन के समूहों ने भी इसे राजनीतिक और कूटनीतिक मुद्दा बनाते हुए चिंता जताई है।

एपी

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