नयी दिल्ली, 11 अगस्त दिल्ली की एक अदालत ने मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए जहांगीरपुरी हिंसा मामले के एक आरोपी को अपनी पत्नी के प्रसव के लिए एक हफ्ते की अंतरिम जमानत दी है।
अपने ज़मानत के आवेदन में आरोपी ने कहा कि उसकी पत्नी के प्रसव की तारीख 20 अगस्त है और उसका ध्यान रखने वाला कोई और नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गगनदीफ सिंह ने छह अगस्त को पारित आदेश में कहा, “ मामले के उपरोक्त तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और मानवीय दृष्टिकोण अपनाते हुए, आरोपी या आवेदक गुलाम रसूल को उसकी रिहाई की तारीख से एक हफ्ते की अंतरिम जमानत प्रदान की जाती है।”
आदेश के मुताबिक, रसूल को 50 हजार रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की एक ज़मानत पर राहत प्रदान की गई है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपी की रिहाई की तारीख जेल अधीक्षक को आवेदन करने और जमानत की शर्तों को पूरा करने पर निर्भर है।
याचिका का विरोध करते हुए, अतिरिक्त लोक अभियोजक (एपीपी) गुरभेज सिंह गुरया ने कहा कि चिकित्सकीय दस्तावेजों के साथ-साथ प्रसव की अपेक्षित तारीख को सत्यापित किया गया और इसे सही पाया गया, मगर आरोपी के खिलाफ दंगा सहित गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
उन्होंने कहा कि आरोपी को रिहा करने पर, वह फरार हो सकता है और जहांगीरपुरी में हालत अब भी संवेदनशील है और वह स्थिति को भड़का सकता है।
न्यायाधीश ने कहा कि जांच अधिकारी (आईओ) ने एक रिपोर्ट दायर की थी जिसमें कहा गया था कि आरोपी की पत्नी एक नाबालिग बेटे के साथ अकेली रहती है और उसके माता-पिता उसी इलाके में अलग रहते हैं।
अंतरिम ज़मानत के लिए कई शर्तें लगाई गई हैं जिसमें, बिना इजाजत दिल्ली न छोड़ना, फोन नंबर और अपना पता उपलब्ध कराना, सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करना और अभियोजन के गवाहों से संपर्क नहीं करना शामिल है।
अप्रैल में जहांगीरपुरी में हनुमान जयंती के मौके पर निकाले जा रहे जुलूस के दौरान दो समुदायों के लोगों में संघर्ष हो गया था जिसमें आठ पुलिस कर्मी और एक स्थानीय निवासी जख्मी हो गया था।
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