देश की खबरें | ऐसा लगता है कि गहलोत की नेता सोनिया गांधी नहीं, वसुंधरा राजे सिंधिया हैं: पायलट
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जयपुर, नौ मई कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए मंगलवार को कहा कि गहलोत का रविवार को धौलपुर में दिया गया भाषण यह दर्शाता है कि उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं, बल्कि वसुंधरा राजे हैं।
पायलट ने गहलोत के उन आरोपों का पुरजोर खंडन किया कि 2020 में उनके (गहलोत के) खिलाफ बगावत करने वाले विधायकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से पैसे लिये थे और उन्हें (विधायकों को) भाजपा नेता अमित शाह को पैसे वापस कर देने चाहिए।
पायलट ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर 11 मई से अजमेर से जयपुर तक जनसंघर्ष पदयात्रा निकालने की भी घोषणा की।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री जिस तरह से आरोप लगा रहे हैं, वह गंभीर राजनीति कदापि नहीं है।
पायलट ने यहां अपने सरकारी निवास पर पत्रकारों से कहा, ‘‘मुख्यमंत्री जी का भाषण परसों धौलपुर में हुआ और इससे एक बात और स्पष्ट हो गई है... उस भाषण को सुनने के बाद मुझे ऐसा लगता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की नेता सोनिया गांधी जी नहीं हैं, बल्कि उनकी नेता वसुंधरा राजे सिंधिया जी हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ यह कहा जा रहा है कि हमारी सरकार गिराने का काम भाजपा कर रही थी, वहीं दूसरी तरफ कहा जाता है कि सरकार को बचाने का काम वसुंधरा जी कर रही थीं। इस विरोधाभास को (स्पष्ट रूप से) समझाना चाहिए था। आप (गहलोत) कहना क्या चाह रहे हैं, यह तो स्पष्ट कर देना चाहिए।’’
गहलोत ने रविवार को धौलपुर में कहा था कि उनकी सरकार 2020 के राजनीतिक संकट से बच गई, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं विधायक कैलाश मेघवाल ने उनकी (गहलोत की) सरकार गिराने के षडयंत्र का समर्थन नहीं किया।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि उस वक्त जिन विधायकों ने भाजपा से जो पैसे लिये थे, उन्हें ये पैसे केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह को लौटा देने चाहिए।
पायलट ने यह भी कहा कि अपने (कांग्रेस) नेताओं पर आरोप लगाना गलत है।
अपने गुट के विधायक हेमराम चौधरी व अन्य का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों पर आरोप लगाये जा रहे हैं वे 30-40 साल से सार्वजनिक जीवन में हैं।
पायलट ने कहा, ‘‘इन सब लोगों पर इस प्रकार के आरोप लगा देना, मैं समझता हूं कि बहुत गलत है और बहुत निंदनीय है और मैं इन बेबुनियाद व झूठे आरोपों को सिरे से नकारता हूं।’’
उन्होंने कहा कि वह खुद और उनके कुछ सहयोगी (विधायक) राज्य के नेतृत्व में बदलाव चाहते थे, इसलिए वे 2020 में दिल्ली गए और पार्टी के सामने अपने विचार रखे, जिसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने एक समिति बनाई और इस मुद्दे के समाधान के लिए एक रोडमैप तैयार किया।
उल्लेखनीय है कि उस घटनाक्रम के समय पायलट उपमुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे। पायलट और 18 अन्य कांग्रेस विधायकों ने जुलाई 2020 में गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। यह मामला पार्टी आलाकमान के हस्तक्षेप के बाद सुलझा था। इसके बाद पायलट को उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया था।
पायलट ने कहा, ‘‘उस घटना के बाद हम सभी साथियों ने कांग्रेस को मजबूत व ताकतवर बनाने के लिए जी-जान से कोशिश एवं मेहनत की और ढाई साल का जो कार्यकाल बीता वह इस बात का प्रतीक है। अनुशासन तोड़ने का काम कभी किसी ने नहीं।’’
पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उन्होंने वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा और 11 अप्रैल को दिनभर अनशन भी किया, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘अब मुझे समझ में आ रहा है कि यह जांच अब तक क्यों नहीं हुई। मैंने इस मुद्दे को लेकर 11 अप्रैल को अनशन किया, लेकिन अब मैं नामउम्मीद हूं, क्योंकि तथ्य सामने आ रहे हैं कि कार्रवाई क्यों नहीं हुई और (आगे) क्यों नहीं होगी, यह बात भी अब स्पष्ट चुकी है।’’
पायलट ने, हालांकि कहा कि वह भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते रहेंगे और 11 मई को अजमेर से जयपुर के बीच जन संघर्ष पदयात्रा निकालेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने भ्रष्टाचार का मुद्दा लगातार उठाया है। पहले भी उठाया था, आज भी उठा रहा हूं और आगे भी उठाता रहूंगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार एवं नौजवानों के हितों से जुड़े मुद्दों को लेकर मैं जनसंघर्ष पदयात्रा निकालने जा रहा हूं, जो 11 मई को अजमेर से शुरू होगी। हम जयपुर की तरफ आएंगे और यह यात्रा लगभग 125 किलोमीटर लंबी होगी। उनकी आवाज हम सुनेंगे और उनकी आवाज हम बुलंद भी करेंगे।’’
कांग्रेस नेता ने कहा कि अजमेर से यह यात्रा इसलिए निकाली जा रही है, क्योंकि राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएसी) अजमेर में स्थित है, जहां से कई पेपर-लीक होने एवं भ्रष्टाचार की खबरें आईं।
पायलट ने कहा कि वह खुद पर लगे आरोपों को ढाई साल से सुन रहे थे, लेकिन पार्टी एवं सरकार की छवि को ध्यान में रखते हुए चुप थे।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे बहुत कुछ कहा गया, जैसे- निकम्मा व गद्दार आदि। रविवार को जो आरोप लगाए गए, वह मैं ढाई साल से सुन रहा था, फिर भी हम अपनी पार्टी एवं सरकार की छवि को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहते थे।’’
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