देश की खबरें | देसी गोवंश और गो-आधारित उत्पादों को प्रोत्साहन दिया जाना जरूरी: राज्यपाल कलराज मिश्र

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जयपुर, 29 अप्रैल राजस्थान के राज्यपाल और कुलाधिपति कलराज मिश्र ने राज्य में देसी गोवंश की नस्लों के संरक्षण और संवर्द्धन तथा गो-आधारित उत्पादों के अनुसंधान एवं विकास को गति देने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा कि पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए जरूरी है कि देशी गोवंश पर होने वाले अनुसंधानों और विकास कार्यों का लाभ उन्हें मिले। राज्यपाल मिश्र शुक्रवार को राजस्थान पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, बीकानेर के पांचवें दीक्षांत समारोह को ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि गोमूत्र से कीटनाशक व गोबर से जैविक खाद आदि के उत्पादन और इसके विपणन को प्रभावी बनाने की दिशा में पहल करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंतिम छोर पर बैठे गांव-ढाणी के किसान और पशुपालकों तक उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों की जानकारी शीघ्र और सरल रूप में उपलब्ध कराने के लिए पशुधन अनुसंधान केन्द्रों और पशु विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से अधिकाधिक प्रयास किए जाएं।

एक बयान के अनुसार राज्यपाल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में पशुपालन आज भी किसानों की आय का महत्वपूर्ण स्रोत है। कृषि पर आश्रित परिवार भी अनुपूरक आय के लिए पशुपालन पर निर्भर हैं।

उन्होंने कहा कि फसल खराब होने पर तो गांव में पशुधन ही आय का मुख्य स्रोत रह जाता है, इसलिए पशुपालकों को पशुधन से स्थायी आय प्राप्त हो सके, इस दिशा में प्रयास किए जाएं।

इसके लिए उन्होंने पशुधन संरक्षण की तकनीकों में नवाचार और विकास का आह्वान किया। कृषि, पशुपालन एवं मत्स्य विभाग मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि राज्य सरकार ने पशुपालकों के कल्याण और पशुपालन के विकास के लिए मुख्यमंत्री पशुधन निशुल्क दवा योजना सहित कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

कृषि वैज्ञानिक चयन मंडल, नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि राजस्थान देश में दुग्ध उत्पादन में दूसरे स्थान पर है और यहां डेयरी क्षेत्र के विकास की प्रचुर संभावनाएं हैं।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के उपमहानिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ. राकेश चन्द्र अग्रवाल और कुलपति प्रो. सतीश कुमार गर्ग ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये।

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