सरकारी समाचार एजेंसी आईआरएनए के अनुसार, राष्ट्रपति हसन रूहानी ने 2015 में हुए परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए अनुमति नहीं देने पर देश के धार्मिक प्रतिष्ठानों की भी आलोचना की। अमेरिकी प्रतिबंधों से जूझ रही ईरान की अर्थव्यवस्था के बीच जनता ने रूहानी की सरकार को समर्थन नहीं दिया जिसके कारण सत्ता पर उनकी पकड़ कमजोर हो गई हैं।
परंतु, उनकी टिप्पणी से ऐसा लगता है कि अगले महीने इब्राहिम रायसी के राष्ट्रपति बनने के साथ ही ईरान पश्चिमी देशों के साथ और अधिक शत्रुतापूर्ण रवैया अपना सकता है। मंत्रिमंडल की बैठक में रूहानी ने ‘90 प्रतिशत’ स्तर तक हथियार की क्षमता वाले यूरेनियम की बात कही।
आईआरएनए के अनुसार उन्होंने कहा, “अगर एक दिन भी रिएक्टर में 90 प्रतिशत संवर्धन की जरूरत पड़ती है तो हमें समस्या नहीं होगी, हमारे पास इतनी क्षमता है।“ उन्होंने कहा, ”शांतिपूर्ण रास्ते के लिए हम कुछ भी कर सकते हैं।” वर्ष 2015 में हुए नाभिकीय समझौते के तहत ईरान से कड़े प्रतिबंध हटाए गए थे और 3.67 प्रतिशत यूरेनियम संवर्धन की इजाजत दी गई थी ताकि (असैन्य) नागरिक उपयोग के लिए रिएक्टर चलाया जा सके।
ईरान अब कम मात्रा में 60 प्रतिशत तक यूरेनियम संवर्धन करता है जो कि हथियार के स्तर की ओर एक छोटा कदम है। रूहानी ने अपनी सरकार के बाहर के चरमपंथियों की भी आलोचना की जिन्होंने वियना में होने वाले समझौते को पूरा नहीं होने दिया था। वियना समझौते के अगले दौर का कार्यक्रम अभी तय नहीं है। रूहानी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि रायसी अधूरे काम को पूरा करेंगे।
एपी
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