मुंबई, नौ जनवरी स्थानीय शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद म्यूचुअल फंड की इक्विटी योजनाओं में दिसंबर माह में निवेश 14 प्रतिशत बढ़कर 41,156 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।
एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एम्फी) ने कहा कि म्यूचुअल फंड की स्मॉल और मिड कैप (छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों में निवेश करने वाले) की पूंजी योजनाओं में निवेशकों की दिलचस्पी बनी रही और इस महीने के दौरान निवेश रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया। हालांकि, इन दोनों खंडों में जोखिम को लेकर चिंता जताई जा रही थी।
व्यवस्थित निवेश योजनाओं (एसआईपी) में निवेश पिछले महीने 26,459 करोड़ रुपये रहा, जो नवंबर में 25,320 करोड़ रुपये था। एसआईपी के प्रबंधन के तहत परिसंपत्तियां 13.63 लाख करोड़ रुपये रहीं, जो कुल परिसंपत्तियों का लगभग पांचवां हिस्सा है।
दिसंबर के अंत तक म्यूचुअल फंड कंपनियों के प्रबंधन के तहत कुल परिसंपत्तियां (एयूएम) 66.93 लाख करोड़ रुपये थीं, जो एक महीने पहले की समान अवधि के 68.08 लाख करोड़ रुपये से कुछ कम है।
एम्फी के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) वेंकट चलसानी ने कहा कि इस गिरावट का कारण बाजार में ‘करेक्शन’ के साथ ऋण या बॉन्ड योजनाओं से 1.27 लाख करोड़ रुपये की निकासी है।
इक्विटी म्यूचुअल फंड में निरंतर रुचि और भविष्य में उम्मीद को लेकर पूछे गए एक सवाल के जवाब में चलसानी ने माना कि ऐसी अनिश्चितताएं हैं जो बाजार को प्रभावित कर सकती हैं। जनवरी में डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के साथ वहां के प्रशासन में बदलाव को लेकर भी लोगों के मन में कई शंकाएं हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारतीय निवेशकों का शेयर बाजार में भरोसा बना हुआ है।
एसआईपी में निरंतर रुचि की ओर इशारा करते हुए चलसानी ने कहा कि यह निवेश दीर्घावधि में भारतीय बाजारों में निवेशकों के भरोसे को दर्शाता है।
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