जरुरी जानकारी | औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार पड़ी सुस्त, मुद्रास्फीति बढ़कर 5.59 प्रतिशत पर
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. देश की अर्थव्यवस्था को बुधवार को दोहरा झटका लगा। एक तरफ जहां औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि की रफ्तार लगातार तीसरे महीने सुस्त रही और नवंबर, 2021 में इसमें केवल 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2021 में बढ़कर छह महीने के उच्चस्तर 5.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
नयी दिल्ली, 12 जनवरी देश की अर्थव्यवस्था को बुधवार को दोहरा झटका लगा। एक तरफ जहां औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि की रफ्तार लगातार तीसरे महीने सुस्त रही और नवंबर, 2021 में इसमें केवल 1.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई। वहीं खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2021 में बढ़कर छह महीने के उच्चस्तर 5.59 प्रतिशत पर पहुंच गयी।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक नवंबर में 1.4 प्रतिशत बढ़ा। विनिर्माण, बिजली, खनन, प्राथमिक वस्तु और टिकाऊ उपभोक्ता सामान जैसे ज्यादातर क्षेत्रों में वृद्धि की रफ्तार सुस्त पड़ी।
इसका मुख्य कारण कमजोर तुलनात्मक आधार का प्रभाव खत्म होना है। नवंबर, 2020 में औद्योगिक उत्पादन 1.6 प्रतिशत घटा था।
आईआईपी वृद्धि पिछले महीने के चार प्रतिशत के आंकड़े से कम है, लेकिन नवंबर, 2020 के 1.6 प्रतिशत की गिरावट के आंकड़े से बेहतर है।
इस बीच, अनाज, दूध, अंडे सहित रसोई का सामान महंगा होने से खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2021 में बढ़कर 5.59 प्रतिशत हो गई। यह भारतीय रिजर्व बैंक के लिये निर्धारित ऊपरी सीमा छह प्रतिशत के करीब पहुंच गयी है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर, 2021 में 4.91 प्रतिशत और दिसंबर, 2020 में 4.59 प्रतिशत थी।
रिजर्व बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों पर गौर करता है। सरकार ने आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ 4 प्रतिशत यानी दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी दी हुई है।
मुख्य मुद्रास्फीति (कोर इनफ्लेशन) दिसंबर, 2021 में उच्चस्तर 6.2 प्रतिशत पर रही। यह पिछले महीने के लगभग बराबर है।
खुदरा मुद्रास्फीति अक्टूबर, 2021 से बढ़ रही है। जुलाई में भी महंगाई दर बढ़कर 5.59 प्रतिशत पहुंच गयी थी लेकिन बाद में अगले दो महीने इसमें नरमी रही।
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज केमुख्य अर्थशास्त्री निखिल गुप्ता ने कहा, ‘‘औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि में नरमी और मुद्रास्फीति में तेजी के साथ आमीक्रोन के बढ़ते मामले को देखते हुए मौद्रिक नीति के सामान्य स्तर पर आने में विलंब हो सकता है। हालांकि, फरवरी में होने वाली द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में रिवर्स रेपो में वृद्धि हो सकती है लेकिन इसे अप्रैल तक टाले जाने की संभावना है।’’
इक्रा की मुख्य अर्थशस्त्री अदिति नायर ने कहा कि दिसंबर, 2021 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के बढ़ने का मुख्य कारण खाद्य और पेय पदार्थ के साथ कपड़ा तथा जूते-चप्पल की कीमतों में तेजी है।
उन्होंने कहा कि विविध जिंसों और आवास समेत ईंधन और प्रकाश के साथ पान, तंबाकू आदि श्रेणी में महंगाई दर में नरमी बढ़िया है।
नायर ने कहा, ‘‘कुल मिलाकर हमारा मानना है कि सकल उपभोक्ता मुद्रास्फीति 2021-22 की चौथी तिमाही में 5.7 से छह प्रतिशत के दायरे में रहेगी।’’
खाद्य वस्तुओं में अनाज और उसके बने उत्पाद, अंडा, दूध तथा दूध के बने उत्पाद, मसाले तथा तैयार भोजन, स्नैक्स और मिठाई के मामले में महंगाई दर दिसंबर में पिछले महीने के मुकाबले अधिक रही।
हालांकि, सब्जियों, फल और तेल एवं वसा की महंगाई दर की रफ्तार में कमी आई।
ईंधन और प्रकाश श्रेणी में मुद्रास्फीति दिसंबर महीने में इससे पूर्व माह के मुकाबले नरम हुई। लेकिन यह अभी भी 10.95 प्रतिशत पर है। नवंबर महीने में यह 13.35 प्रतिशत थी।
एनएसओ के बुधवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 77.63 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र में नवंबर में 0.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई। जबकि नवंबर, 2020 में इसमें 1.6 प्रतिशत की गिरावट आयी थी।
आलोच्य महीने में खनिज उत्पादन 5.0 प्रतिशत और बिजली उत्पादन 2.1 प्रतिशत बढ़ा। नवंबर, 2020 में खनन क्षेत्र का उत्पादन 5.4 प्रतिशत घटा था, जबकि बिजली उत्पादन 3.5 प्रतिशत बढ़ा था।
औद्योगिक उत्पादन चालू वित्त वर्ष में मई से अगस्त के दौरान दहाई अंक में बढ़ा है। उसके बाद मुख्य रूप से कमजोर तुलनात्मक आधार का प्रभाव कम होने से यह सितंबर में घटकर 3.3 प्रतिशत और अक्टूबर में चार प्रतिशत रहा।
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