‘ब्रिटेन के स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्यरत भारतीयों को है कोविड-19 का सबसे अधिक खतरा’

‘इंस्टीट्यूट ऑफ फिस्कल स्टडीज’ (आईएफएस) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह भी पाया कि भारतीय उन समुदायों में से एक हैं, जिन पर इस घातक वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव का असर पड़ने की संभावना कम है क्योंकि वे अधिक सुरक्षित क्षेत्रों में काम करते हैं।

लंदन, एक मई ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) में कार्यरत विदेशी मूल के चिकित्सकों में हर 10 में से एक भारतीय है और इसलिए उन पर कोरोना वायरस वैश्विक महामारी का खतरा अधिक है।

‘इंस्टीट्यूट ऑफ फिस्कल स्टडीज’ (आईएफएस) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह भी पाया कि भारतीय उन समुदायों में से एक हैं, जिन पर इस घातक वायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के आर्थिक प्रभाव का असर पड़ने की संभावना कम है क्योंकि वे अधिक सुरक्षित क्षेत्रों में काम करते हैं।

’क्या कोविड-19 का कुछ नस्ली समूहों पर अन्य की तुलना में अधिक खतरा है?’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारतीय पुरुषों में स्वास्थ्यसेवा कार्यों से जुड़े होने के कारण संक्रमित होने का अधिक खतरा है।’’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारतीय पुरुषों द्वारा अपने श्वेत ब्रितानी समकक्षों की तुलना में स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल की भूमिका निभाने की 150 प्रतिशत अधिक संभावना है। इंग्लैंड और वेल्स की कामकाजी जनसंख्या में तीन प्रतिशत लोग भारतीय समुदाय के है और चिकित्सकों में 14 प्रतिशत लोग भारतीय हैं।’’

आईएफएस के विश्लेषण में पाया गया है कि ब्रिटेन के कामकाजी समूह में स्वास्थ्य एवं सामाजिक देखभाल से जुड़े क्षेत्रों में कार्यरत लोगों में संक्रमण का अधिक खतरा है और इनमें भारतीयों की संख्या अधिक होने के कारण उन पर खतरा ज्यादा है।

ब्रिटेन के चिकित्सकों में 37 प्रतिशत लोग विदेशी मूल के हैं जिनमें हर 10 में से एक चिकित्सक भारतीय हैं।

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