ह्यूस्टन, 18 मई कोविड-19 से संबंधित यात्रा पाबंदियों के कारण कई सप्ताह से अमेरिका में फंसे हुए हजारों भारतीय वहां से निकलने के लिए भारत सरकार से अतिरिक्त उड़ानों के लिए गुहार लगा रहे हैं।
इनमें सबसे ज्यादा प्रभावित छात्र और चिकित्सा कारणों से आए पर्यटक हैं जिन्हें खर्चे बढ़ने के साथ-साथ यहां से निकलने की सबसे ज्यादा बेसब्री है।
ह्यूस्टन कंसुलर क्षेत्र में करीब 30 हजार छात्र हैं। इस क्षेत्र के दायरे में आठ अमेरिकी राज्य शामिल हैं जहां शीर्ष स्तर के विश्वविद्यालय हैं।
कई छात्र तो लॉकडाउन से पहले निकल चुके हैं और बाकी पिछले सप्ताह अपनी सेमिस्टर परीक्षा होने के बाद निकलना चाहते हैं।
देश वापसी को परेशान ऐसे ही एक भारतीय नागरिक ने कहा,‘‘अगर एयर इंडिया उड़ानें संचालित कर सकती है और फंसे हुए भारतीयों को निकालने के नाम पर बहुत ज्यादा किराया वसूल सकती है तो भारत निजी एयरलाइन्स को उड़ान क्यों नहीं भरने दे रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह मदद नहीं है, बल्कि लोगों को लूटना है। एक तरफ की यात्रा के लिए दोनों तरफ का किराया वसूलना और उसमें भी जरूरतमंदों को नहीं ले जाना।’’
प्रसाद भालेकर नामक एक भारतीय नागरिक ने ट्वीट किया कि अगर भारत को वाकई चिंता है तो उस हिसाब से योजना भी होनी चाहिए।
न्यूयॉर्क में रहने वाली भारतीय नागरिक आलिया के पिता का हाल ही में मुंबई में निधन हो गया और वह यहां से फंसे हुए नागरिकों को ले जाने वाली उड़ान में बुकिंग का इंतजार कर रही है।
प्रवासी भारतीय नागरिक (ओसीआई) कार्ड धारक आलिया ने कहा, ‘‘मेरे पिता का 26 अप्रैल को मुंबई में निधन हो गया और मेरी बुजुर्ग मां असहाय हैं तथा उनकी सेहत की वजह से देखभाल की जरूरत है। मुझे मुंबई जल्द पहुंचाने में मदद कीजिए। अमेरिका में भारतीय दूतावास से कोई जवाब नहीं आया है। कृपया मदद कीजिए।’’
एक अन्य ओसीआई कार्ड धारक ने कहा, ‘‘महामारी के समय अगर आपात स्थिति नहीं होती तो कौन अपना घर छोड़कर भारत जाना चाहेगा।’’
हरियाणा के फरीदाबाद की रहने वाली दीप्ति जनवरी से अपने छोटे भाई के इलाज के लिए ह्यूस्टन में हैं।
उन्हें फंसे हुए लोगों को निकालने के दूसरे चरण में सकारात्मक जवाब की उत्सुकता से प्रतीक्षा है। वह पिछले 80 दिन से अपने चार साल के बेटे से दूर हैं जो भारत में है।
भारतीय दूतावास और वाणिज्य दूतावास 24 घंटे काम कर रहे हैं और उन्हें कैंसर रोगियों, गर्भवती महिलाओं, छात्रों, फंसे हुए पर्यटकों और बेरोजगार हो चुके कामगारों की मदद करने समेत सभी आपात स्थिति से निपटने में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। कुछ लोग अपने परिवार में शोक या वीजा समाप्त होने की वजह से भी लौटना चाहते हैं।
वाणिज्य दूतावासों की हेल्पलाइनों पर रोजाना 10 हजार से अधिक ईमेल और फोन कॉल आ रहे हैं।
अधिकारियों का कहना है कि वे न केवल उड़ानों में मदद कर रहे हैं बल्कि मार्च में विश्वविद्यालय और छात्रावास बंद होने के बाद छात्रों को रहने और अन्य जरूरी सुविधाएं दिलाने में भी मदद कर रहे हैं।
ह्यूस्टन में भारत के महा वाणिज्यदूत असीम महाजन ने एक इंटरव्यू में पीटीआई को बताया, ‘‘हमारे सामने अलग तरह का मानवीय संकट है जिसने सभी को प्रभावित किया है। हर स्थिति महत्वपूर्ण है और उस पर ध्यान देने की जरूत है और हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी को समय पर मदद मिले।’’
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