नए टीकों के साथ भारत अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाएगा: तिरुमूर्ति
भारत ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि नए भारतीय टीकों के साथ वह अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाएगा. उसने जोर देकर कहा कि कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखलाओं को बनाए ना आवश्यक है क्योंकि कोविड-19 टीकों का दुनिया के हर कोने में पहुंचना जरूरी है.
संयुक्त राष्ट्र, 9 अक्टूबर : भारत ने संयुक्त राष्ट्र को सूचित किया कि नए भारतीय टीकों के साथ वह अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाएगा. उसने जोर देकर कहा कि कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखलाओं को बनाए ना आवश्यक है क्योंकि कोविड-19 टीकों का दुनिया के हर कोने में पहुंचना जरूरी है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी एस तिरुमूर्ति ने शुक्रवार को कहा कि भारत ने दुनिया भर के अनेक देशों को मेडिकल संबंधी सहायता और बाद में टीके उपलब्ध करवाए हैं. संयुक्त राष्ट्र महासभा में ‘संकट, सामान्य होने की क्षमता और बहाली - 2030 एजेंडा के लिए प्रगति की गति में इजाफा’ विषय पर दूसरी समिति की आम चर्चा में तिरुमूर्ति ने कहा, ‘‘हम ऐसे समय पर मिल रहे हैं जब कोविड संकट खत्म होता नहीं नजर आ रहा. वैसे टीके आने के साथ यह उम्मीद है कि हम परिस्थितियों को बदल सकते हैं.’’ तिरुमूर्ति ने आगे कहा, ‘‘जैसा प्रधानमंत्री (नरेंद्र) मोदी ने कहा था, हम इसे बहाल करेंगे और इस महामारी के खात्मे के लिए अन्य साझेदारों के साथ मिलकर काम करेंगे.
इसके लिए, कच्चे माल की आपूर्ति श्रृंखलाओं को खुला रखना होगा. भारत के नए टीके भी आने को हैं जिनके साथ हम आपूर्ति क्षमता को बढ़ाएंगे.’’ भारत टीके दान करने की वैश्विक पहल ‘कोवैक्स’ संबंधी अपने वादे को पूरा करने के लिए और ‘टीका मैत्री’ कार्यक्रम के तहत 2021 की चौथी तिमाही में कोविड-19 के अतिरिक्त टीकों का निर्यात पुन: शुरू करेगा. देश में, अप्रैल माह में वैश्विक महामारी की दूसरी लहर के बाद सरकार ने टीकों का निर्यात बंद कर दिया था. भारत सौ से अधिक देशों को अनुदान, वाणिज्यिक खेप के रूप में और कोवैक्स पहल के तहत अब तक 6.6 करोड़ से अधिक टीके निर्यात कर चुका है. यह भी पढ़ें : निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर एजेसियों के सर्वे पर रोक लगाने की मांग करेंगे: मायावती
तिरुमूर्ति ने महासभा में कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के कारण हुए व्यवधान ने निम्न आय वाले देशों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है. उन्होंने कहा, ‘‘सतत विकास लक्ष्यों समेत हमारी कई महत्वाकांक्षाएं तथा लक्ष्य गतिहीन हो गए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘शुरुआत में अंतरराष्ट्रीय संस्थानों ने प्रतिक्रिया देने में देरी की लेकिन अंतत: मिलकर और समन्वय से काम करना शुरू किया. ‘वसुधैव कुटुंबकम’ का भारतीय लोकाचार हमें बेहतर भविष्य के निर्माण का रास्ता वदिखाएगा.’’