RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा- सैन्य तैयारियों के मामले में भारत को चीन से अधिक शक्तिशाली होने की हैं जरूरत
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि सैन्य तैयारियों के मामले में भारत को चीन से अधिक शक्तिशाली होने की आवश्यकता है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन की विस्तारवादी प्रवृत्ति से पूरी दुनिया अवगत है।
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने रविवार को कहा कि सैन्य तैयारियों के मामले में भारत को चीन से अधिक शक्तिशाली होने की आवश्यकता है. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चीन की विस्तारवादी प्रवृत्ति से पूरी दुनिया अवगत है.भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक विजयदशमी रैली को संबोधित कर रहे थे.कोरोना वायरस महामारी के दिशानिर्देशों के अनुसार संघ ने इस कार्यक्रम का आयोजन इस साल सीमित रूप से किया, जिसमें 50 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया.
भागवत ने कहा कि भारत को चीन के खिलाफ बेहतर सैन्य तैयारियां करने की जरूरत है.उन्होंने कहा कि अब कई देश चीन के सामने खड़े हैं. उन्होंने कहा, ''चीनी घुसपैठ पर भारत की प्रतिक्रिया से चीन सकते में है. चीन की अपेक्षा भारत को अपनी शक्ति एवं दायरा बढ़ाने की आवश्यकता है. 'उन्होंने कहा कि सरकार को नेपाल, श्रीलंका जैसे और अन्य पड़ोसी देशों के साथ चीन के खिलाफ गठबंधन करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘भारत को चीन की तुलना में शक्ति और दायरे में बड़ा होने की आवश्यकता है. ’’यह भी पढ़े | Shivsena Dussehra Rally: महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने विपक्ष को दी चुनौती, कहा- हिम्मत है तो सरकार गिरा कर दिखाओ.
संघ प्रमुख ने कहा, ''चीन ने महामारी के बीच में हमारी सीमाओं का अतिक्रमण किया. उन्होंने कहा कि उस देश (चीन) की विस्तारवादी प्रवृत्ति से पूरी दुनिया अवगत है. उन्होंने ताइवान एवं वियतनाम का उदाहरण चीन की विस्तारवादी योजना के रूप में दिया. भागवत ने कहा, ‘‘हमारी मंशा सबके साथ मित्रता करने की है और यह हमारा स्वभाव है. हमें किसी प्रकार से कमजोर करने अथवा खंडित करने का प्रयास बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है और हमारे विरोधी अब इससे अवगत हो चुके हैं. ’’
चीन पर दिये गये भागवत के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘अंदर ही अंदर भागवत सच जानते हैं.वह सिर्फ इसका सामना करने से डरते है.सच्चाई यह है कि चीन ने हमारी जमीन ले ली है और जीओआई और आरएसएस ने इसकी अनुमति दे दी है।’’
भागवत ने कहा कि भारत एक ''हिंदू राष्ट्र'' है और हिंदुत्व देश की पहचान का सार है. भागवत ने कहा, ‘‘जब आरएसएस कहता है कि हिंदुस्तान हिंदू राष्ट्र है तो यह राजनीति या शक्ति केंद्रित अवधारण को मन में रखकर नहीं कहता हैं.
उन्होंने कहा कि हिंदुत्व शब्द को एक परम्परा के संकेत से जोड़कर इसे तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है. उन्होंने कहा कि संघ का मानना है कि हिंदुत्व देश की संपूर्ण 130 करोड़ आबादी पर लागू होता है जो खुद को भारतवर्ष के बेटा और बेटी मानते हैं... और जो अपने पूर्वजों की विरासत पर गर्व करते हैं. उन्होंने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) किसी खास धार्मिक समुदाय के खिलाफ नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग हमारे मुसलमान भाइयों को भ्रमित कर रहे हैं’’ और दावा कर रहे हैं कि यह उनकी जनसंख्या को सीमित करने के लिये है.
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर आगे चर्चा होती, इससे पहले कोरोना वायरस की तरफ ध्यान केंद्रित करना पड़ा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के दिमाग में केवल सांप्रदायिक सद्भाव बिगाड़ना ही रहता है। कोरोना वायरस के कारण सब मुद्दे पीछे रह गये हैं ।उन्होंने कहा, ‘‘हमें कोरोना वायरस से डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन हमें सतर्क एवं सावधान रहना चाहिये. हम जीना नहीं छोड़ सकते हैं.कोरोना वायरस फैल रहा है लेकिन इससे मरने वालों की संख्या कम है। महामारी के कारण हमने फिर से स्वच्छता, सफाई, पर्यावरण और पारिवारिक मूल्यों के महत्व को जानना शुरू कर दिया है. ’’
भागवत ने कहा, ‘‘कोरोना वायरस ने बेरोजगारी की चुनौतियों को जन्म दिया है. कई लोगों की नौकरियां चली गयी हैं. श्रमिकों ने अब शहरों में लौटना शुरू कर दिया है लेकिन नौकरियों का अब अभाव हो सकता है. चुनौती अब विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करने की है.’ संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को निरस्त कर दिया गया तथा राम मंदिर निर्माण संबंधी उच्चतम न्यायालय के फैसले को देश ने संयम एवं समझदारी के साथ स्वीकार किया.
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