नयी दिल्ली, नौ फरवरी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लगातार वृद्धि दर बढ़ने के साथ अब भारत का वक्त आ गया है और ‘हमारे आलोचक सबसे निचले स्तर’ पर पहुंच गये हैं।
प्रधानमंत्री ने टाइम्स ग्रुप के 'ईटी नाउ ग्लोबल बिजनेस समिट' को संबोधित करते हुए कहा कि भारत पर पूरी दुनिया का भरोसा लगातार बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा, "कारोबारियों के लिए कुंभ मेले की तरह मानी जाने वाली दावोस बैठक में भी भारत को लेकर बहुत उत्साह था। वहां किसी ने कहा कि भारत एक अभूतपूर्व सफलता की कहानी है, किसी ने कहा कि भारत का डिजिटल बुनियादी ढांचा नई ऊंचाइयां छू रहा है जबकि किसी ने कहा कि ऐसी कोई जगह नहीं है जहां भारत का प्रभाव न हो।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज विकास से जुड़े हरेक विशेषज्ञ समूह में इस बात पर चर्चा है कि भारत पिछले 10 वर्षों में बदल गया है।
उन्होंने कहा, "ये चीजें दिखाती हैं कि दुनिया को भारत पर कितना भरोसा है। भारत की क्षमताओं के लिए ऐसी सकारात्मक धारणा पहले कभी नहीं थी। भारत की सफलता को लेकर ऐसी सकारात्मक धारणा शायद पहले कभी नहीं देखी गई।"
मोदी ने कहा कि किसी भी देश की विकास यात्रा में एक समय ऐसा आता है जब सारी परिस्थितियां उसके पक्ष में होती हैं और उस समय वह देश आने वाली कई शताब्दियों के लिए खुद को मजबूत बनाता है। उन्होंने कहा, ''अब मुझे भारत के लिए वही समय दिखता है।''
उन्होंने कहा, "यह वह समय है जब हमारी वृद्धि दर लगातार बढ़ रही है और राजकोषीय घाटा कम हो रहा है। यह वह समय है जब हमारा निर्यात बढ़ रहा है और चालू खाते का घाटा कम हो रहा है। यह वह समय है जब उत्पादक निवेश रिकॉर्ड ऊंचाई पर है और मुद्रास्फीति नियंत्रण में है।“
इसके साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा, "यह वह समय है जब अवसर और आय दोनों बढ़ रही है और गरीबी कम हो रही है। यह वह समय है जब खपत और कंपनियों की लाभप्रदता दोनों बढ़ रही है और बैंकों की गैर-निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में रिकॉर्ड गिरावट हुई है। यह वह समय है जब उत्पादन और उत्पादकता बढ़ रही है और यह वह समय है जब हमारे आलोचक अब तक के सबसे निचले स्तर पर हैं।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की नीतियों में स्थिरता और निरंतरता है।
उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति अधिक खर्च करने का दुष्परिणाम है और उनकी सरकार ने परियोजनाओं को समय पर पूरा करने के लिए 'बचाया गया पैसा कमाया हुआ पैसा है' के मंत्र का पालन किया।
उन्होंने कहा, "हमने संसद भवन जैसी बड़ी परियोजनाओं को रिकॉर्ड समय में पूरा करके करदाताओं के पैसे को मान दिया। हमने कबाड़ से भी पैसा कमाया।"
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