पिछले नौ वर्षों में ‘महिला विकास’ से ‘महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास’ की ओर बढ़ा भारत: प्रधानमंत्री मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों में यूनिकॉर्न बनाने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत पिछले नौ वर्षों में ‘महिला विकास’ से ‘महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास’ की ओर बढ़ा है.
नयी दिल्ली, 10 मार्च : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों में यूनिकॉर्न बनाने पर जोर देते हुए शुक्रवार को कहा कि भारत पिछले नौ वर्षों में ‘महिला विकास’ से ‘महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास’ की ओर बढ़ा है. ‘महिला सशक्तिकरण’ पर बजट पश्चात एक वेबिनार को संबोधित करते हुए मोदी ने इस बात को रेखांकित किया कि आज भारत में इंजीनियरिंग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में महिलाओं के दाखिले का आंकड़ा 43 प्रतिशत है, जो अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे विकसित देशों की तुलना में कहीं अधिक है. उन्होंने कहा कि चिकित्सा का क्षेत्र हो या खेल का मैदान हो, व्यवसाय हो या राजनीति हो, भारत में महिलाओं की केवल भागीदारी ही नहीं बढ़ी है, बल्कि वे हर क्षेत्र में आगे आकर नेतृत्व कर रही हैं. मोदी ने कहा कि आज भारत में ऐसे अनेक क्षेत्र हैं जिनमें महिलाशक्ति का सामर्थ्य नजर आता है. उन्होंने कहा कि जिन करोड़ों लोगों को मुद्रा लोन दिये गए, उनमें से करीब 70 प्रतिशत लाभार्थी देश की महिलाएं हैं और ये करोड़ों महिलाएं अपने परिवार की आय ही नहीं बढ़ा रही हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था के नए आयाम भी खोल रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘क्या हम स्वयं सहायता समूहों में भी यूनिकॉर्न बना सकते हैं ? हमने इस साल के बजट में यह दृष्टिकोण भी पेश किया है.’’ यूनिकॉर्न ऐसी कंपनियां होती हैं, जो शेयर बाजार में सूचीबद्ध हुए बिना एक अरब अमेरिकी डॉलर तक का कारोबार कर सकती हैं. प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि मुद्रा ऋण योजना के तहत लगभग 70 प्रतिशत लाभार्थी महिलाएं हैं. मोदी ने महिलाओं के प्रति सम्मान की भावना को उनकी समानता से भी जोड़ा. उन्होंने कहा, ‘‘महिलाओं का सम्मान बढ़ाकर, समानता का भाव बढ़ाकर ही भारत तेजी से आगे बढ़ सकता है.’’ उन्होंने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस वर्ष के बजट को देश ने 2047 तक विकसित भारत बनाने के लक्ष्य की पूर्ति की एक शुरुआत के रूप में देखा है. प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले नौ वर्षों में देश महिलाओं के नेतृत्व में विकास की दूरदृष्टि को लेकर आगे बढ़ा है और इन प्रयासों को हमने वैश्विक मंच पर भी ले जाने की कोशिश की है. यह भी पढ़ें : आंध्र : बाघ शावकों को उनकी मां से मिलाने में असफल रहा वन विभाग
उन्होंने कहा, ‘‘इस वर्ष का बजट भी महिलाओं के नेतृत्व में विकास के प्रयासों को नई गति देगा.’’ उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में भारत ने जिस प्रकार महिला सशक्तीकरण के लिए काम किया है, आज उसके परिणाम नजर आने लगे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आज हम देख रहे हैं कि भारत में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है. पिछले 9-10 वर्षों में हाईस्कूल या उसके आगे की पढ़ाई करने वाली लड़कियों की संख्या तीन गुना बढ़ी है.’’ प्रधानमंत्री ने नारीशक्ति की संकल्पशक्ति, इच्छाशक्ति, उनकी कल्पना शक्ति, उनकी निर्णय शक्ति, त्वरित फैसले लेने की उनकी सामर्थ्य, निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उनकी तपस्या और उनके परिश्रम की पराकाष्ठा को मातृशक्ति की पहचान बताया और कहा कि सरकार जब महिलाओं के नेतृत्व में विकास की बात करती है तो उसका आधार यही शक्तियां हैं. उन्होंने कहा, ‘‘यही शक्तिसमूह इस शताब्दी में भारत के स्केल और स्पीड को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभा रहा है.’’ मोदी ने कहा कि सरकार पीएम स्वनिधि योजना, पशु पालन, मछली पालन, खेल-कूद को प्रोत्साहन दे रही है. उनके अनुसार, इनका सर्वाधिक लाभ महिलाओं को मिल रहा है और अच्छे से अच्छे परिणाम महिलाओं के द्वारा आ रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘‘देश की आधी आबादी के सामर्थ्य से हम देश को कैसे आगे ले जाएं इसका प्रतिबिंब इस बजट में भी नजर आता है.’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में पीएम आवास योजना के तहत जो तीन करोड़ से अधिक घर बने हैं, उनमें से अधिकतर घर महिलाओं के ही नाम हैं.उन्होंने कहा, ‘‘अब तक हम स्टार्टअप की दुनिया में तो यूनिकार्न के बारे में सुनते आए हैं लेकिन क्या स्वसहायता समूहों में भी यह संभव है ? यह बजट उस सपने को पूरा करने के लिए, सपोर्ट करने वाली घोषणा लेकर आया है.’’ मोदी ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में भी महिलाओं की हमेशा बड़ी भूमिका रही है और आज इस क्षेत्र में आमूलचूल बदलाव भी हो रहा है. उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में दो लाख से ज्यादा बहुद्देशीय सहकारी, दुग्ध सहकारी और मत्स्य सहकारी संघ बनाये जाने वाले हैं और एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है. उन्होंने कहा कि इनमें महिला किसानों और उत्पादक समूहों की बड़ी भूमिका हो सकती है. प्रधानमंत्री ने मोटे अनाज की ‘श्रीअन्न योजना’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इनकी मांग बढ़ रही है और इसमें महिला स्वसहायता समूहों की भूमिका को और बढ़ाने के लिए काम करना होगा. उन्होंने इस योजना से जनजातीय क्षेत्र की महिलाओं और उनके स्वसहायता समूहों को जोड़ने की भी बात की.