नयी दिल्ली, पांच दिसंबर भारत और चीन ने विवादित सीमा पर सैन्य गतिरोध की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पूर्वी लद्दाख में गतिरोध से मिले सबक पर बृहस्पतिवार को विचार किया। यह गतिरोध कुछ सप्ताह पहले देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद समाप्त हुआ था।
भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श और समन्वय के लिए कार्यकारी तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) के ढांचे के अंतर्गत दिल्ली में आयोजित वार्ता में दोनों पक्षों ने सीमा संबंधी मामलों पर विशेष प्रतिनिधियों की अगली बैठक की भी तैयारी की।
पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद डब्ल्यूएमसीसी की यह पहली वार्ता थी, जिससे मई 2020 में शुरू हुआ गतिरोध खत्म हुआ।
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने सैनिकों को पीछे हटाने के हालिया समझौते के कार्यान्वयन की सकारात्मक रूप से पुष्टि की, जिसने 2020 में उभरे मुद्दों का समाधान पूरा किया। उन्होंने विशेष प्रतिनिधियों (एसआर) की अगली बैठक की भी तैयारी की।’’
एसआर तंत्र के तहत वार्ता बहाल करने का निर्णय 21 अक्टूबर को ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान कजान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच हुई बैठक में लिया गया था।
विदेश मंत्रालय ने डब्ल्यूएमसीसी वार्ता पर कहा, ‘‘दोनों पक्षों ने सीमा क्षेत्रों की स्थिति की समीक्षा की और 2020 की घटनाओं से मिले सबक पर विचार-विमर्श किया, ताकि उनकी पुनरावृत्ति को रोका जा सके।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस संदर्भ में, उन्होंने स्थापित तंत्रों के माध्यम से राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित आदान-प्रदान और संपर्क के महत्व पर प्रकाश डाला।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘उन्होंने दोनों सरकारों के बीच प्रासंगिक द्विपक्षीय समझौतों, प्रोटोकॉल और सहमति के अनुसार प्रभावी सीमा प्रबंधन और शांति बनाए रखने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की।’’
चीनी प्रतिनिधिमंडल के नेता ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री से भी मुलाकात की।
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