नयी दिल्ली, तीन अक्टूबर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के चिंतन शिविर में अनुशंसा की गई है कि एक तिहाई जनरल वार्ड को विशेष वार्ड में परिवर्तित कर और निजी वार्ड की संख्या बढ़ाने से संस्थान के राजस्व में वृद्धि की जा सकती है।
अगस्त महीने में आयोजित चिंतन शिविर में देश के सभी एम्स में स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने, सरकारी कोष पर से निर्भरता कम करने के लिए स्थायी राजस्व स्रोत के लिए क्रियान्वित करने लायक मॉडल की पहचान करने पर भी मंथन किया गया।
शिविर में भुगतान करने वाले और भुगतान नहीं करने वाले मरीजों से लिए जाने वाले शुल्क में संशोधन के लिए एक समिति बनाने की भी सिफारिश की गई।
सिफारिश के मुताबिक, ‘‘ जनरल वार्ड के एक तिहाई बिस्तरों को विशेष वार्ड में तब्दील किया जा सकता है और बाकी के एक तिहाई बिस्तरों को गरीबी रेखा से ऊपर वाले मरीजों के लिए भुगतान आधारित बनाया जा सकता है।’’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि एम्स के जनरल वार्ड के बिस्तर मरीजों के लिए मुफ्त होंगे जबकि विशेष वार्ड में भर्ती होने वाले मरीजों को बिस्तर, दवाओं और जांच के लिए भी भुगतान करना होगा।
उन्होंने बताया कि शिविर में आयुष्मान भारत, राज्य सरकारों की योजनाओं, केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस), भूतपूर्व सैनिक अंशदायी स्वास्थ्य योजना(ईसीएचएस), रेलवे और अन्य सरकारी योजनाओं के लाभार्थियों की पहचान करने की व्यवस्था बनाने की भी सिफारिश की गई है ताकि वे राजस्व में योगदान कर सकें।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वित्तवर्ष 2022-23 के बजट में दिल्ली एम्स के लिए4,190 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। देश में 23 एम्स हैं जिनमें से कुछ पूर्ण रूप से काम कर रहे हैं, कुछ आंशिक रूप से कार्य कर रहे हैं जबकि कुछ का निर्माण चल रहा है।
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