देश की खबरें | कंक्रीटीकण और आर्द्रता के बढ़ते स्तर से भारत के महानगरों में बढ़ रही गर्मी : रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 28 मई कंक्रीटीकरण और आर्द्रता का स्तर बढ़ने से भारत के महानगरों में गर्मी बढ़ रही है जहां एक दशक पहले की तरह रात तक में मौसम ठंडा नहीं हो रहा है।

यह बात ‘सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरन्मेंट’ (सीएसई) की एक नयी रिपोर्ट में कही गई है।

सीएसई ने जनवरी 2001 से अप्रैल 2024 तक छह महानगरों- ​​दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई के लिए ग्रीष्मकालीन हवा के तापमान, भूमि की सतह के तापमान और सापेक्ष आर्द्रता डेटा का विश्लेषण किया।

थिंक टैंक ने कहा कि बढ़ी हुई आर्द्रता सभी जलवायु क्षेत्रों में गर्मी की स्थिति को बढ़ा रही है, यहां तक ​​कि दिल्ली और हैदराबाद में हवा के तापमान में मामूली गिरावट भी बेअसर साबित हो रही है।

बेंगलुरु को छोड़कर, 2001-2010 के औसत की तुलना में 2014-2023 तक अन्य पांच महानगरों में ग्रीष्मकालीन औसत सापेक्ष आर्द्रता 5-10 प्रतिशत बढ़ गई।

सीएसई की रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब भीषण गर्मी भारत के बड़े हिस्से में स्वास्थ्य और आजीविका को प्रभावित कर रही है।

सीएसई में अनुसंधान मामलों की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉय चौधरी ने कहा, "शहरी केंद्रों के लिए एक व्यापक ताप प्रबंधन योजना विकसित करने के लिए दिन और रात के तापमान के साथ-साथ गर्मी, सापेक्ष आर्द्रता और भूमि की सतह के तापमान में बदलती प्रवृत्ति का आकलन करना आवश्यक है।"

सीएसई की नगर प्रयोगशाला के वरिष्ठ कार्यक्रम प्रबंधक अविकल सोमवंशी ने कहा कि भीषण गर्मी और आर्द्रता से निपटना विशेष रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मानव शरीर के मुख्य शीतलन तंत्र ‘पसीने’ को प्रभावित कर सकता है।

उन्होंने कहा, “त्वचा से पसीने का वाष्पीकरण हमारे शरीर को ठंडा करता है, लेकिन उच्च आर्द्रता स्तर इस प्राकृतिक ठंडक को सीमित कर देता है। परिणामस्वरूप, लोग गर्मी और बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं।’’

अध्ययन में कहा गया कि महानगरों रात में ठंडक नहीं हो रही है।

सोमवंशी ने कहा, “गर्म रातें दोपहर के चरम तापमान जितनी ही खतरनाक होती हैं। अगर रात भर तापमान अधिक रहता है तो लोगों को दिन की गर्मी से उबरने का मौका कम मिलता है।’’

अध्ययन में कहा गया कि आर्द्रता के बढ़ते स्तर ने दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई में मानसून को मानसून पूर्व अवधि की तुलना में अधिक गर्म बना दिया है।

इसमें कहा गया कि पिछले दो दशकों में सभी महानगरों में अधिक कंक्रीटीकरण हुआ है जिससे गर्मी की स्थिति बढ़ गई है। सीएसई ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हरित आवरण में वृद्धि रात की गर्मी को कम करने में प्रभावी नहीं है।

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