आयकर विभाग ने दीर्घकालीन पूंजी लाभ की गणना के लिये लागत मुद्रास्फीति सूचकांक अधिसूचित किया
आयकर विभाग ने अप्रैल 2021 से शुरू चालू वित्त वर्ष के लिये अचल संपत्ति की बिक्री से होने वाले दीर्घकालीन पूंजी लाभ के आकलन को लेकर लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को अधिसूचित कर दिया है.
नई दिल्ली: आयकर विभाग (Income Tax Department) ने अप्रैल 2021 से शुरू चालू वित्त वर्ष के लिये अचल संपत्ति की बिक्री से होने वाले दीर्घकालीन पूंजी लाभ के आकलन को लेकर लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को अधिसूचित कर दिया है. करदाता महंगाई दर के समयोजन के बाद पूंजी संपत्ति की बिक्री से होने वाले लाभ का आकलन करने के लिये लागत आधारित मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) का उपयोग करते हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चालू वित्त वर्ष 2021-22 के लिये सीआईआई को 15 जून को अधिसूचित किया.
सीबीडीटी ने सीआईआई अधिसूचित करते हुए कहा, ‘‘वित्त वर्ष 2021-22 और आकलन वर्ष 2022-23 और उसके बाद के वर्ष के लिये प्रासंगिक लागत मुद्रास्फीति सूचकांक 317 है.’ कर विशेषज्ञों का कहना है कि मुद्रास्फीति सूचकांक 317 आभूषण और अचल संपत्ति बिक्री के मामले में पूंजी लाभ के आकलन के लिये उपयुक्त जान पड़ता है. एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ भागीदार रजत मोहन ने कहा, ‘‘कोविड महामारी से अर्थव्यवस्था में संकुचन, उच्च राजस्व घाटा और राजकोषीय घाटा में वृद्धि हुई है। कुल मुद्रास्फीति का जो ग्राफ है, वह भी उतना नहीं बढ़ा, जितना 2013 से पहले हुआ करता था। इन सब के कारण पिछले वित्त वर्ष मुद्रास्फीति सूचकांक की लागत में 16 अंकों की बहुत मामूली वृद्धि हुई. यह भी पढ़े: Income Tax Returns: वित्त वर्ष 2020-21 के लिए आयकर रिटर्न जमा करने की समय सीमा 30 सितंबर तक बढ़ी
उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में मुद्रास्फीति सूचकांक 317 आभूषण और अचल संपत्ति बिक्री के मामले में पूंजी लाभ के आकलन के लिये उपयुक्त जान पड़ता है क्योंकि दोनों की कीमतें कोविड के समय में भी बरकरार हैं. सीआईआई संख्या से करदाताओं को उस दीर्घकालीन पूंजी लाभ के आकलन में मदद मिलेगी जिसको लेकर उन पर कर देनदारी बनती है. नांगिया एंड कंपनी एलएलपी भागीदार शैलेश कुमार ने कहा कि ‘‘दीर्घकालीन पूंजीगत लाभ के मामले में कर योग्य आय के आकलन को लेकर पूंजीगत संपत्ति की मूल लागत (अचल संपत्ति, शेयर, प्रतिभूतियां, आभूषण, आदि) को संपत्ति खरीद वर्ष में लागत मुद्रास्फीति सूचकांक की तुलना में बिक्री वर्ष में लागत मुद्रास्फीति के आधार पर समायोजित किया जाता है.
इस बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि दीर्घकालीन पूंजी लाभ की गणना के लिये अगर कोई संपत्ति ऐसे साल में खरीदी जाती है, जब लागत मुद्रास्फीति सूचकांक 100 था और जिस वर्ष उसे बेचा जाता है, सूचकांक 300 था, तब ऐसे संपत्ति की वास्तविक लागत को तीन से गुना किया जाएगा.
सामान्य तौर पर दीर्घकालीन पूंजी लाभ की पात्रता के लिये संपत्ति को 36 महीने से अधिक (अचल संपत्ति और गैर-सूचीबद्ध शेयर के मामले में 24 महीने, सूचीबद्ध शेयर के मामले में 12 महीने) रखने की जरूरत होती है.
उन्होंने कहा, ‘‘इस अधिसूचना के जरिये सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिये लागत मुद्रास्फीति सूचकांक 317 अधिसूचित किया है. पिछले वित्त वर्ष 2021-21 में यह 301 था। सूचकांक 2001-02 से 100 से शुरू हुआ था.
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