जरुरी जानकारी | सरसों तेल तिलहन में सुधार, अन्य तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल तिलहन कीमतों में आये सुधार को छोड़कर बाकी लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला।
नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सरसों तेल तिलहन कीमतों में आये सुधार को छोड़कर बाकी लगभग सभी तेल तिलहन कीमतों में गिरावट का रुख देखने को मिला।
मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की नयी फसलों के धीरे धीरे मंडियों में आना शुरु होने से तेल तिलहन कीमतों पर दवाब के बीच इनमें गिरावट आई। विदेशों में बाजार मंदा होने से सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव में भी गिरावट रही।
बाजार सूत्रों ने कहा कि वैसे अब सरसों और मूंगफली तेल-तिलहन की बाजार हैसियत बाकी तेलों से कुछ अलग हो गयी है। जैसे कि मौजूदा समय में इन दोनों ही तेल तिलहनों के दाम आयातित तेलों से काफी महंगा बैठ रहे हैं और सस्ते आयातित तेलों के सामने मंडियों में ये तेल खप नहीं रहे हैं।
इसके बावजूद किसान इन तिलहनों की सस्ते में बिकवाली करने से बच रहे हैं क्योंकि इन तेलों का कोई विकल्प नहीं है। मंडियों में कम आवक और त्योहारी मांग निकलने से सरसों तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। वैसे बाजार में सरसों, सोयाबीन और सूरजमुखी अपने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम दाम पर बिक रही है।
सूत्रों ने कहा कि मंडियों में मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की आवक धीरे धीरे शुरु होने के बीच बीते सप्ताह मूंगफली और सोयाबीन तेल-तिलहन के साथ साथ बिनौला तेल कीमतों में गिरावट देखने को मिली।
समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशों में सोयाबीन डीगम तेल का दाम अपने पिछले सप्ताह के 1,000-1,010 डॉलर से घटकर 960-970 डॉलर प्रति टन रह गया क्योंकि खाद्यतेलों के सबसे बड़े आयातक देश के आयात की मांग पहले के मुकाबले कम रही।
इसी प्रकार समीक्षाधीन सप्ताह में पाम एवं पामोलीन तेल की मांग प्रभावित होने से कच्चा पामतेल (सीपीओ) और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट दर्ज हुई।
सूत्रों ने कहा कि जिस तरह देशी तेल तिलहनों का इस बार हाल हुआ है वह तेल तिलहन कारोबार के भविष्य के लिए कोई अच्छा संकेत नहीं है। संभवत: प्रयास यह था कि त्यौहारों के समय खाद्यतेलों की कमी ना होने पाये और उपभोक्ताओं को खाद्यतेल सस्ते में मिले जिस वजह से भारी मात्रा में खाद्यतेलों का आयात शुरु हुआ। लेकिन इन सस्ते आयातित तेलों की भरमार की वजह से कहीं अधिक लागत वाली देशी सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी जैसे तिलहन फसलें बाजार में खप नहीं सकीं जिससे किसानों को काफी निराश होना पड़ा।
इसके अलावा देशी तिलहनों की कम उपलब्धता के कारण तेल मिलें ठीक से नहीं चल पाई और उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। सबसे बड़ी बात सस्ते आयात का जो उपभोक्ताओं को सस्ते में खाद्यतेल उपलब्ध कराने का जो मकसद था वह तेल पैकर कंपनियों द्वारा अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) जरुरत से कहीं अधिक तय करने की वजह से ग्राहकों को सस्ते में मिलना तो दूर, बल्कि महंगा बना रहा।
सूत्रों ने कहा कि सस्ते में भारी आयात का विकल्प चुनने के बजाय सरकार को तेल कंपनियों के एमआरपी के ठीक निर्धारण के जरिये उसे दुरुस्त करने की ओर ध्यान देना चाहिये।
देश की तेल मिलों के नहीं चलने से खल और डीआयल्ड केक (डीओसी) के दाम भी बढ़े हैं, जिसके कारण दूध के दाम और खुदरा मुद्रास्फीति में तेजी देखने को मिली है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 15 रुपये बढ़कर 5,525-5,575 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 80 रुपये बढ़कर 10,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 15-15 रुपये का लाभ दर्शाता क्रमश: 1,735-1,830 रुपये और 1,735-1,845 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
दूसरी ओर मंडियों में नये फसल के आवक शुरु होने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 275 रुपये और 345 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 4,700-4,800 रुपये प्रति क्विंटल और 4,300-4,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
सोयाबीन दिल्ली तेल के भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 9,500 रुपये क्विंटल पर बंद हुआ जबकि सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल के दाम क्रमश: 60 रुपये और 100 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 9,400 रुपये और 7,900 रुपये रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुए।
नयी फसल की आवक शुरु होने से समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड के भाव क्रमश: 200 रुपये, 525 रुपये और 70 रुपये टूटकर क्रमश: 7,275-7,325 रुपये क्विन्टल, 17,500 रुपये क्विंटल और 2,570-2,855 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
विदेशी बाजारों में पामोलीन के दाम मंदा होने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 50 रुपये की गिरावट के साथ 7,700 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये घटकर 8,950 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला का भाव 50 रुपये नुकसान के साथ 8,050 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल का भाव 100 रुपये की गिरावट के साथ 8,425 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
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