नयी दिल्ली, 17 दिसंबर बीते सप्ताह में देश के तेल-तिलहन बाजारों में मूंगफली तेल-तिलहन में सुधार आया। वहीं बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव गिरावट के साथ बंद हुए।
बाजार सूत्रों ने कहा कि लगभग डेढ़ साल से जारी घाटे के कारोबार के बीच देश के खाद्य तेल आयातकों सहित तेल-तिलहन उद्योग के सभी अंशधारकों की वित्तीय स्थिति दयनीय हो चली है। वे आयातित तेल को रोक कर रखने की वित्तीय स्थिति में नहीं रह गये हैं और जल्द से जल्द सौदों का निपटान कर रहे हैं। हालांकि, आयातित तेल अब भाव के भाव बिक रहा है लेकिन उन्होंने जब सौदे खरीदे थे तब ये ऊंचे भाव में खरीदे थे जिसे आयातित तेलों की सस्ती कीमतों की वजह से नीचे भाव पर निपटाने की मजबूरी हो चली है। इसके अलावा अब देशी तेल के साथ-साथ आयातित तेल की लिवाली भी कम हुई है क्योंकि किसी को भी सौदों को खरीदने या उसे रोकने के लिए धन की कमी हो रही है। इस परिस्थिति के बीच मूंगफली तेल-तिलहन में आई तेजी को छोड़कर बाकी सभी तेल-तिलहनों के भाव में गिरावट आई।
जाड़े में साबुत मूंगफली खाने वालों की मांग है और ऐसे उपभोक्ताओं पर इसकी महंगाई का कोई असर नहीं है। ये उपभोक्ता मूंगफली का उपयोग सूखे मेवे की तरह करते हैं।
उन्होंने कहा कि आयातित सूरजमुखी तेल का भाव मई, 2022 में 2,500 डॉलर प्रति टन हुआ करता था जो अब घटकर 950 डॉलर प्रति टन रह गया है। जिस सोयाबीन तेल का दाम कभी 2,260 डॉलर टन की ऊंचाई को छू रहा था वह घटकर 945-955 डॉलर प्रति टन रह गया है। ऐसी परिस्थिति में ऊंची लागत वाले देशी तेल-तिलहन खप नहीं रहे।
आयातक, तेल व्यापारी, तेल मिलें और उपभोक्ता सभी इस परिस्थिति से बेहाल हैं। अधिक अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) रखे जाने की वजह से उपभोक्ताओं को सस्ता खाद्य तेल भी महंगे में मिलना जारी है।
सूत्रों ने कहा कि इस परिस्थिति की जिम्मेदारी कहीं न कहीं देश के प्रमुख तेल संगठनों का भी है जो सरकार को यह बता पाने में नाकाम रहे हैं कि हर साल न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की कवायद के साथ-साथ खाद्य तेलों का दाम भी बढ़ना चाहिये। वे देशी खाद्य तेल-तिलहनों का बाजार विकसित करने की अहमियत को भी सामने रख पाने में विफल हैं।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 290 रुपये घटकर 5,300-5,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 500 रुपये घटकर 9,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 70-70 रुपये का नुकसान दर्शाते क्रमश: 1,680-1,775 रुपये और 1,680-1,790 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 70-70 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 5,000-5,500 रुपये प्रति क्विंटल और 4,800-4,850 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 275 रुपये, 225 रुपये और 325 रुपये के नुकसान के साथ क्रमश: 9,725 रुपये और 9,575 रुपये और 8,075 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
गिरावट के आम रुख के विपरीत समीक्षाधीन सप्ताह में केवल मूंगफली तेल-तिलहन के दाम मजबूती पर बंद हुए। मूंगफली तेल-तिलहन, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव क्रमश: 100 रुपये, 200 रुपये और 30 रुपये के लाभ के साथ क्रमश: 6,875-6,950 रुपये क्विंटल, 16,000 रुपये क्विंटल और 2,385-2,660 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 200 रुपये के नुकसान के साथ 7,600 रुपये, पामोलीन दिल्ली का भाव 50 रुपये के नुकसान के साथ 8,850 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 275 रुपये के नुकसान के साथ 7,925 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में बिनौला तेल का भाव भी 400 रुपये गिरकर 8,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
राजेश
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