देश की खबरें | भारत में हथियारों के आयात में पिछले चार-पांच साल में बहुत कमी आई है: जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल

जम्मू, 12 सितंबर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पिछले चार-पांच साल में भारत में हथियारों के आयात में उल्लेखनीय कमी आना और पिछले वित्त वर्ष में रक्षा निर्यात के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचना नवोन्मेष और स्वदेशी प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के प्रति केंद्र सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

सिन्हा ने यह टिप्पणी जम्मू के बाहरी इलाके में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के जगती परिसर में आयोजित ‘नॉर्थ-टेक सिम्पोजियम (उत्तर-प्रौद्योगिकी संगोष्ठि) 2023’ में भाग लेने के दौरान की। प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

उपराज्यपाल ने सैकड़ों उद्योगों और रक्षा प्रौद्योगिकी स्टार्टअप की संयुक्त रूप से मेजबानी करने के लिए उत्तरी कमान, ‘सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स’ (एसआईडीएम) और ‘आईआईटी-जम्मू’ को बधाई दी।

उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘यह शिक्षा जगत के लिए गर्व का क्षण है कि ‘नॉर्थ-टेक सिम्पोजियम’ की स्थापना के बाद पहली बार यह रक्षा प्रदर्शनी आईआईटी जम्मू में आयोजित की जा रही है।’’

उन्होंने कहा कि तीन दिवसीय कार्यक्रम में भारतीय सेना की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी की क्षेत्र में हुई प्रगति का प्रदर्शन किया जाएगा और रक्षा प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान, विकास और नवोन्मेष के लिए सेना, उद्योग और शिक्षा जगत के बीच तालमेल बनाया जाएगा।

सिन्हा ने रक्षा उपकरणों के निर्यातक के रूप में भारत के उद्भव और रक्षा उत्पादन में उसकी आत्मनिर्भरता पर भी प्रकाश डाला।

उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश ने रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ते देखा है। हम एक जिम्मेदार अंतरिक्ष शक्ति हैं और हमने अपनी रणनीतिक ताकत दिखाई है।’’

उन्होंने कहा कि पिछले साल आईएनएस विक्रांत के प्रक्षेपण ने स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने के देश के संकल्प को साबित किया।

उन्होंने कहा, ‘‘पिछले चार-पांच साल में हमारे हथियारों के आयात में काफी कमी आई है और रक्षा निर्यात पिछले वित्त वर्ष में सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गया है। यह नवोन्मेष और स्वदेशी प्रौद्योगिकी विकास के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।’’ सिन्हा ने कहा कि केंद्र ने 2027 तक हथियारों के क्षेत्र में 70 प्रतिशत आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य रखा है, जो निजी उद्योगों, एमएसएमई (सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम) और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में स्टार्टअप के लिए असीमित अवसर प्रदान कर रहा है।

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