देश की खबरें | अवैध रेत खनन मामला : ईडी के समक्ष पेश नहीं होने पर तमिलनाडु के पांच जिलाधिकारियों को फटकार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने कथित अवैध रेत खनन से जुड़े धनशोधन मामले में आदेश के बावजूद पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होने पर तमिलनाडु के पांच जिलाधिकारियों को मंगलवार को फटकार लगाई।
नयी दिल्ली, दो अप्रैल उच्चतम न्यायालय ने कथित अवैध रेत खनन से जुड़े धनशोधन मामले में आदेश के बावजूद पूछताछ के लिए प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होने पर तमिलनाडु के पांच जिलाधिकारियों को मंगलवार को फटकार लगाई।
शीर्ष अदालत ने इन अधिकारियों को 25 अप्रैल को व्यक्तिगत रूप से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समक्ष पेश होने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मित्तल की पीठ ने कहा कि अधिकारियों ने ‘लचर रुख’ अपनाया और उनकी कार्रवाई दिखाती है कि उनके मन में अदालत, कानून और संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘ हमारी राय में, इस तरह का लचर रुख उन्हें किसी कठिन परिस्थिति में डाल देगा। जब अदालत ने उन्हें ईडी द्वारा जारी समन के जवाब में उपस्थित होने का निर्देश देते हुए आदेश पारित किया था, तो उनसे आदेश का पालन करने और ईडी के समक्ष उपस्थित होने की अपेक्षा की गई थी।’’
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘ इससे पता चलता है कि अधिकारियों के मन में न तो न्यायालय और न ही कानून के प्रति सम्मान है और भारत के संविधान का तो बिल्कुल भी नहीं। इस तरह के दृष्टिकोण की कड़ी निंदा की जाती है।’’
तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं कपिल सिब्बल और अमित आनंद तिवारी ने कहा कि अधिकारी कानून व्यवस्था बनाए रखने और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं को लागू करने में व्यस्त हैं।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु में लोकसभा चुनाव 19 अप्रैल को होगा और अधिकारी चुनाव संबंधी कार्यों को भी देख रहे हैं।
पीठ ने कहा कि अधिकारियों को जांच एजेंसी के समक्ष उपस्थित होकर कारण बताना चाहिए था। उसने कहा कि अधिकारियों को धनशोधन से जुड़े मामले की जांच में ईडी के समक्ष पेश होने का आखिरी मौका दिया जा रहा है।
शीर्ष अदालत ने 27 फरवरी को पांच जिलों के जिलाधिकारियों को धनशोधन के सिलसिले में चल रही जांच में ईडी के समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था।
मद्रास उच्च न्यायालय ने पिछले साल 28 नवंबर को धनशोधन मामले की चल रही जांच के लिए वेल्लोर, तिरुचिरापल्ली, करूर, तंजावूर और अरियालूर जिलों के जिलाधिकारियों को पेश होने के लिए ईडी द्वारा जारी समन पर रोक लगा दिया था। मद्रास उच्च न्यायालय के खिलाफ ईडी ने शीर्ष अदालत का रुख किया और तर्क दिया कि असहयोगात्मक रवैये के कारण जांच प्रभावित हो रही है।
उच्चतम न्यायालय ने पांच जिलाधिकारियों को राहत देने वाले उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी थी और कहा था कि तमिलनाडु और उसके अधिकारियों की याचिका ‘अजीब और असामान्य’ है और इससे ईडी की जांच बाधित हो सकती है।
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