देश की खबरें | चौबीस दिसंबर तक मराठा आरक्षण घोषित न होने पर इसे रोकने वाले नेताओं के नाम का खुलासा करेंगे: जरांगे

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को दावा किया कि मराठा नेताओं ने पूर्व में समुदाय के लिए आरक्षण का समर्थन नहीं किया और मराठाओं को आरक्षण न देने के लिए सरकार पर 30-40 वर्षों से ओबीसी नेताओं का भी दबाव था।

छत्रपति संभाजीनगर, आठ नवंबर कार्यकर्ता मनोज जरांगे ने बुधवार को दावा किया कि मराठा नेताओं ने पूर्व में समुदाय के लिए आरक्षण का समर्थन नहीं किया और मराठाओं को आरक्षण न देने के लिए सरकार पर 30-40 वर्षों से ओबीसी नेताओं का भी दबाव था।

जरांगे ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर स्थित एक निजी अस्पताल में संवाददाताओं से कहा, "अगर हमें 24 दिसंबर तक आरक्षण नहीं दिया गया तो हम इन नेताओं के नामों का खुलासा करेंगे।"

वह आरक्षण की मांग को लेकर अनशन कर रहे थे जो उन्होंने पिछले सप्ताह समाप्त कर दिया। अब छत्रपति संभाजीनगर स्थित अस्पताल में उनका इलाज हो रहा है।

महाराष्ट्र सरकार ने जरांगे के नेतृत्व में हुए विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर मराठा समुदाय के सदस्यों को कुनबी प्रमाणपत्र देने की व्यवहार्यता का अध्ययन करने के लिए गठित न्यायमूर्ति संदीप शिंदे (सेवानिवृत्त) समिति का दायरा बढ़ा दिया है।

जरांगे की मांगों में मराठाओं को कुनबी प्रमाणपत्र दिया जाना भी शामिल है, ताकि उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के तहत आरक्षण मिल सके।

महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा (अजित पवार गुट) के नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि ओबीसी श्रेणी के तहत मराठा समुदाय को आरक्षण देने के "पिछले दरवाजे" से होने वाले प्रयासों का विरोध किया जाएगा।

उन्होंने यह भी कहा कि हिंसा और दबाव की रणनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जरांगे ने बुधवार को कहा, "मराठा नेताओं ने हमारा समर्थन नहीं किया और उन्होंने हमें आरक्षण नहीं दिया। इसके अलावा सरकार पर 30-40 साल से ओबीसी नेताओं का दबाव था। इसलिए हमें आरक्षण नहीं मिला। अगर 24 दिसंबर तक मराठा समुदाय को आरक्षण नहीं दिया गया तो हम इन नेताओं के नामों का खुलासा करेंगे।''

उन्होंने कहा कि आरक्षण श्रेणी में शामिल होने के बाद जो सुविधाएं ओबीसी को मिल रही हैं, वे मराठा समुदाय को भी दी जानी चाहिए।

जरांगे ने कहा, "सरकार को हमें वे नौकरियां भी देनी चाहिए जो उसने पहले नहीं दी थीं। हमें वे सभी लाभ मिलने चाहिए जो आज ओबीसी वर्ग को मिलते हैं, जिसमें राजनीतिक लाभ भी शामिल है।"

उन्होंने कहा, "हालांकि राज्य में ओबीसी द्वारा रैलियां निकाली जा रही हैं, लेकिन गांवों में लोग जानते हैं कि अगर हमारे पास सबूत है, तो हमें (मराठा समुदाय) भी आरक्षण दिया जाना चाहिए। अगर हमारे पास कोई सबूत नहीं होता, तो वे हमारे आरक्षण का विरोध करते।"

कार्यकर्ता ने यह भी कहा कि ओबीसी नेताओं को यह बताना चाहिए कि वे मराठा आरक्षण का विरोध क्यों कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "उन्हें इसका विरोध करने का कारण बताना चाहिए। ओबीसी को जो मिल रहा है, वही हमें भी मिलना चाहिए।"

जरांगे ने महाराष्ट्र सरकार से यह भी अपील की कि मराठा आरक्षण की मांग के समर्थन में अपनी जान देने वाले लोगों के परिवारों को सहायता प्रदान की जाए।

उन्होंने कहा कि ऐसे परिवारों को वित्तीय सहायता के साथ-साथ सरकारी नौकरियां भी मिलनी चाहिए और इसका फैसला आज की कैबिनेट बैठक में लिया जाना चाहिए।

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