नयी दिल्ली, 12 अप्रैल भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोविड-19 से जुड़ी समस्याओं को सीमित करने के लिये ‘कोनवालेसेंट प्लाज्मा’ की सुरक्षा और दक्षता का नियंत्रित अध्ययन करने में भागीदारी करने को कहा है।
इसी तरह से, कोविड-19 मरीजों की चिकित्सीय स्थिति को बेहतर करने में उपचारात्मक ‘प्लाज्मा एक्सचेंज’ के अध्ययन मे भी भागीदारी का अनुरोध किया गया है।
उल्लेखनीय है कि ‘कोनवालेसेंट प्लाज्मा’ थैरेपी (उपचार), में कोविड-19 से उबर चुके मरीज के रक्त से ली गई एंटीबॉडी का उपयोग गंभीर रूप से संक्रमित रोगियों के इलाज में किया जाता है।
‘कोनवालेसेंट प्लाज्मा’ कोविड-19 मरीजों के लिये एक प्रयोगात्मक कार्यप्रणाली है। दिशानिर्देशों के मुताबिक जो अस्पताल एवं संस्थान उपचार की यह विधि अपनाना चाहते हैं उन्हें ऐसा प्रोटोकॉल के साथ चिकित्सीय परीक्षण (क्लीनिकल ट्रायल) में करना चाहिए, जिसे इंस्टीट्यूशनल एथिक्स कमेटी ने मंजूरी प्रदान की है।
हालांकि, इस वक्त आईसीएमआर क्लीनिकल ट्रायल के बाहर उपचार के विकल्प के रूप में इसकी सिफारिश नहीं करता है।
आईसीएमआर ने कहा, ‘‘आईसीएमआर कोविड-19 मरीजों में ‘कोनवालेसेंट प्लाज्मा’ की सुरक्षा और दक्षता के अध्ययन के लिये क्लीनिकल ट्रायल में भाग लेने के वास्ते उपकरण एवं बुनियादी ढांचा से लैस संस्थानों से सहमति पत्र आमंत्रित करता है।’’
आईसीएमआर ने कहा कि जो संस्थान उसके साथ सहयोग करने में रूचि रखते हैं वे ब्योरा मुहैया कराकर अपनी इच्छा जाहिर कर सकते है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, लेटेस्टली स्टाफ ने इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया है)