देश की खबरें | राजस्थान में नौ जिलों को समाप्त करने के खिलाफ भूख हड़ताल, अनिश्चितकालीन बंद

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान में नौ नव-गठित जिलों को समाप्त करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन मंगलवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। एक जिले में प्रदर्शनकारियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है, जबकि एक अन्य जिले में प्रदर्शनकारियों ने अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया।

जयपुर, 31 दिसंबर राजस्थान में नौ नव-गठित जिलों को समाप्त करने के राज्य सरकार के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन मंगलवार को तीसरे दिन भी जारी रहा। एक जिले में प्रदर्शनकारियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है, जबकि एक अन्य जिले में प्रदर्शनकारियों ने अनिश्चितकालीन बंद का ऐलान किया।

राज्य सरकार ने 28 दिसंबर को पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा बनाए गए 17 जिलों में से नौ को समाप्त करने का फैसला किया था और कहा था कि ये न तो व्यावहारिक हैं और न ही जनहित में हैं।

मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में तीन नए संभाग- पाली, बांसवाड़ा और सीकर को भी समाप्त कर दिया गया। अब राज्य में सात संभाग और 41 जिले होंगे।

इस फैसले के खिलाफ नीम का थाना में प्रदर्शनकारियों ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है, जबकि अनूपगढ़ में अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया गया है।

नीम का थाना में जिला बचाओ संघर्ष समिति के बैनर तले प्रदर्शनकारियों ने जिलाधिकारी कार्यालय के बाहर धरना दिया और टायर जलाकर नीम का थाना को जिले का दर्जा बहाल करने की मांग की गई।

इस मांग के समर्थन में जिला परिषद अध्यक्ष और पंचायत समिति अध्यक्ष सहित स्थानीय नेताओं ने एकजुटता दिखाते हुए इस्तीफा दे दिया है।

संघर्ष समिति के संयोजक प्रवीण जाखड़ ने कहा, ‘‘1952 से इस क्षेत्र के लोग जिले का दर्जा मांग रहे हैं। भाजपा सरकार ने गंदी राजनीति की है। जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती, लोग भूख हड़ताल जारी रखेंगे।’’

अनूपगढ़ में स्थानीय बाजार पूरी तरह बंद रहे। पेट्रोल पंप भी सीमित समय के लिए खुले। किसानों और व्यापारियों ने सभी गतिविधियां बंद रख कर विरोध प्रदर्शन किया।

अनूपगढ़ जिला बचाओ संघर्ष समिति के नेता सुरेश बिश्नोई ने कहा, ‘‘हम एकजुट हैं, क्योंकि यह हमारे भविष्य की लड़ाई है। जब तक सरकार जिले का दर्जा नहीं देती, हम विरोध जारी रखेंगे।’’

कांग्रेस के पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने सांचौर में विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया और स्थानीय विधायक जीवाराम चौधरी पर इस मुद्दे को नहीं उठाने का आरोप लगाया।

एक सभा को संबोधित करते हुए बिश्नोई ने जिले के दर्जे के दीर्घकालिक महत्व पर जोर दिया और लोगों से लंबे संघर्ष के लिए तैयार रहने का आग्रह किया।

भौगोलिक असमानताओं पर प्रकाश डालते हुए बिश्नोई ने कहा कि अगर भरतपुर से केवल 35 किलोमीटर दूर स्थित डीग का जिला का दर्जा बरकरार रखा जा सकता है, तो जालोर से 180 किलोमीटर दूर स्थित सांचौर का भी जिला का दर्जा बरकरार रखना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अभी आवाज नहीं उठाते हैं तो आने वाली पीढ़ियां हमें लापरवाह समझेंगी। लेकिन अगर हम सफल होते हैं तो वे हमें अपने अधिकारों के रक्षक के रूप में याद रखेंगे।’’

इस संबंध में उपखंड अधिकारी प्रमोद कुमार बिश्नोई को ज्ञापन सौंपा गया।

पाली में भी संभागीय दर्जा खत्म किए जाने के बाद विरोध प्रदर्शन हुए। पाली संभाग बचाओ संघर्ष समिति के मघराज सोनी के नेतृत्व में अधिवक्ता अदालत के बाहर इकट्ठा हुए।

सोनी ने कहा, ‘‘पूर्ववर्ती सरकार के फैसले से हमें उम्मीद जगी थी कि पाली नए अवसरों के साथ एक प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित होगा। शीर्ष अधिकारियों के लिए कार्यालय पहले ही स्थापित किए जा चुके थे। हमारा संभागीय दर्जा खत्म करने से वह प्रगति रुक गई है। हम न्याय मिलने तक लड़ेंगे।’’

राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में नौ जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुर सिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर और शाहपुरा को समाप्त करने का फैसला लिया गया।

पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जिलों को निरस्त करने के भाजपा सरकार के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है।

उन्होंने रविवार को कहा था कि यह फैसला राजस्थान के हित में नहीं लिया गया है और दीर्घावधि के लिहाज से भी उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश राजस्थान से छोटा राज्य है, लेकिन उसके पास 53 जिले हैं जबकि राजस्थान में अब केवल 41 जिले हैं।

कुंज

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\